क्या बीएलओ फर्जी फॉर्म अपलोड कर रहे हैं? चुनाव आयोग की प्रक्रिया सिर्फ दिखावा है: तेजस्वी यादव

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए।
- आंकड़े केवल अपलोडिंग को दर्शाते हैं, वास्तविकता नहीं।
- बिना मतदाता की जानकारी के फर्जी फॉर्म भरे जा रहे हैं।
- चुनाव आयोग की प्रक्रिया अपारदर्शी है।
- बीएलओ को सक्रिय भागीदारी से रोका जा रहा है।
पटना, 13 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। तेजस्वी यादव ने बिहार में मतदाता गणना प्रपत्रों पर चुनाव आयोग के आंकड़ों को खारिज किया है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के आंकड़े केवल अपलोडिंग को दर्शाते हैं, जबकि प्रमाणिकता और वैधता की कोई गारंटी नहीं है।
तेजस्वी यादव ने कहा, "चुनाव आयोग ने 80.11 प्रतिशत गणना फॉर्म भरने का दावा किया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि कितने प्रपत्र सत्यापित, स्वैच्छिक और वैध तरीके से भरे गए हैं। हमें यह जानकारी मिल रही है कि बिना मतदाता की जानकारी के बीएलओ द्वारा फर्जी हस्ताक्षर या अंगूठा लगाकर प्रपत्र भरे जा रहे हैं। इसलिए चुनाव आयोग के आंकड़े जमीनी हकीकत से पूरी तरह विपरीत हैं।"
उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग की प्रेस रिलीज में कहा गया था कि दस्तावेज बाद में भी दिए जा सकते हैं, लेकिन इस पर कोई स्पष्ट आदेश या एसओपी अब तक जारी नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बावजूद चुनाव आयोग ने कोई औपचारिक संशोधित अधिसूचना जारी नहीं की, जिससे जमीनी स्तर पर बीएलओ और मतदाता दोनों भ्रमित हैं।"
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि कई जिलों में विपक्षी दलों के बीएलओ को चुनाव आयोग ने सूचित नहीं किया है और उन्हें इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी से रोका गया है। यह पूरा अभियान अपारदर्शी है।
उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग की यह एसआईआर प्रक्रिया केवल दिखावा है। भाजपा के आदेश पर बूथ के आंकड़ों के अनुसार पहले ही जोड़-तोड़ कर ली गई है। चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर कार्य कर रहा है, और यह प्रक्रिया केवल दिखावे के लिए है।"
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव से नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोगों के बारे में सवाल पूछा गया। उन्होंने जवाब में कहा, "चुनाव आयोग स्वयं सामने आने की बजाय सूत्रों के हवाले से खबरें प्लांट करवा रहा है, ताकि उसकी आड़ में खेला कर सके। ये वही सूत्र हैं जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद, लाहौर और कराची पर कब्जा किया था।"