क्या तेजस्वी ने मतदाता पुनरीक्षण पर सही सवाल उठाए? चुनाव आयोग खुद कंफ्यूज है

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।
- 11 दस्तावेज की मांग की गई है।
- दलित और अल्पसंख्यक समुदाय प्रभावित होंगे।
- बिहार के लोग अलर्ट हैं।
- मतदाता के अधिकारों की रक्षा आवश्यक है।
पटना, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस ने चुनाव आयोग के मतदाता पुनरीक्षण के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाए हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग खुद कंफ्यूज है और लगातार समय, तिथि और पुनरीक्षण को लेकर अपने आदेशों में बदलाव कर रहा है।
पटना में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग के समक्ष मतदाता पुनरीक्षण अभियान के मुद्दे को हम लोग लगातार उठाते आ रहे हैं और चुनाव आयोग से मिलने का समय भी मांग रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग समय निर्धारित नहीं कर रहा है। चुनाव आयोग द्वारा जिन दलीलों के साथ पुनरीक्षण की बात की जा रही है, उससे ही उनकी मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। 25 दिनों में आठ करोड़ मतदाताओं तक ये कैसे पहुंचेंगे, यह स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा, आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज के लोग होंगे। वेरिफिकेशन के लिए जो 11 डॉक्यूमेंट मांगे गए हैं, वो बिहार के कितने लोगों के पास होंगे। 2004 के बाद वाले मतदाताओं को माता-पिता का पहचान पत्र देना होगा, जबकि आधार और मनरेगा कार्ड की मान्यता नहीं दी गई है। तेजस्वी ने निर्वाचन आयोग से पूछा कि कितने लोगों के पास ये दस्तावेज हैं। भारत सरकार को भी यह बताना चाहिए कि 11 दस्तावेज बिहार के कितने लोगों के पास हैं।
तेजस्वी ने आगे कहा, "लोकतंत्र की जननी बिहार से ही लोकतंत्र को समाप्त करने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन बिहार और बिहारी अलर्ट हैं। आखिर सरकार की मंशा क्या है, यह बताना चाहिए। जब मतदाता अपने मताधिकार से वंचित होंगे तो उनका राशन और पेंशन के साथ छात्रवृत्ति भी बंद कर दी जाएगी। दिल्ली में भाजपा के नेता उन्हें लगातार गाली दे रहे हैं, कभी 'नमाजवादी' कह रहे हैं तो कभी 'मौलाना'।"
उन्होंने कहा कि ये नेता मुद्दों की बात नहीं करते, बल्कि मुर्दों की बात करते हैं। काम की नहीं, बेकार की बात करते हैं और देश को जोड़ने की नहीं, तोड़ने की बात करते हैं। जब हम प्रेम, मोहब्बत, भाईचारे और मुद्दों की बात करते हैं, तो सांप्रदायिक ताकतें हमला करती हैं।