क्या ठाणे की किसान की बेटी ने इसरो में वैज्ञानिक बनकर इतिहास रचा?

सारांश
Key Takeaways
- कड़ी मेहनत से सपने साकार होते हैं।
- समर्पण और आत्मविश्वास सफलता की कुंजी हैं।
- किसान की बेटी ने इसरो में पहली बार चयनित होकर एक नई मिसाल कायम की।
- शिक्षा और सपने कभी भी छोटे नहीं होते।
- सफलता के पीछे का सफर भी महत्वपूर्ण है।
ठाणे, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के ठाणे जिले के एक किसान की बेटी ने इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। लगातार मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास के बल पर सुजाता अब इसरो की वैज्ञानिक बन गई हैं। सुजाता, ठाणे जिले से इसरो में चयनित होने वाली पहली महिला हैं। क्षेत्र के लोग गर्वित महसूस कर रहे हैं और उनका परिवार भी जश्न मनाने में व्यस्त है।
रामचंद्र मडके ने न्यूज एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मेरी बेटी का इसरो में वैज्ञानिक के रूप में चयन हुआ है। यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है। पूरे क्षेत्र में यह चर्चा का विषय बन चुका है। गांव में जिस तरह की चर्चाएं हो रही हैं, उससे हम बेहद खुश हैं।"
सुजाता रामचंद्र मडके, ठाणे जिले की शहापुर तहसील के छोटे से गांव शिरगांव की निवासी हैं। उन्होंने इसरो की कठिन चयन प्रक्रिया को पार करके विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में कदम रखा है।
हालांकि, इसरो में वैज्ञानिक के रूप में नौकरी की शुरुआत के लिए उन्होंने एक असाधारण निर्णय लिया है। वो पहले से ही आरटीओ अधिकारी के तौर पर सेवाएं दे रही थीं। अब वैज्ञानिक बनने के बाद उन्होंने सुरक्षित नौकरी छोड़ दी है और अब वे देश की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की वैज्ञानिक बन गई हैं।
साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली सुजाता की शिक्षा जिला परिषद स्कूल से शुरू हुई। प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूरी करने के बाद उन्होंने शहापुर से हाईस्कूल की पढ़ाई की और फिर 12वीं की शिक्षा पूरी की। वे स्कूल के दिनों से ही एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने का सपना देख रही थीं। स्नातक के बाद, सुजाता ने महाराष्ट्र परिवहन विभाग की परीक्षा उत्तीर्ण की और ठाणे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में सहायक मोटर वाहन निरीक्षक के पद पर नियुक्त हुईं। अपने सपनों की उड़ान भरने का प्रयास नहीं छोड़ा और इसरो में वैज्ञानिक बनने की तैयारी करती रहीं। आज, इस सफलता पर उनके परिवार, विशेषकर पिता रामचंद्र मडके की खुशी का ठिकाना नहीं है।