क्या त्रिपुरा में मुख्यमंत्री माणिक साहा ने माकपा-टीएमसी पर निशाना साधा?

सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री साहा ने माकपा और टीएमसी पर कटाक्ष किया।
- वे आरोप लगाते हैं कि ये दल केवल सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।
- टीएमसी प्रतिनिधिमंडल को उकसावे वाला बताया गया।
- भाजपा की ताकत जनता में है, न कि सोशल मीडिया में।
- त्रिपुरा की जनता विकास चाहती है।
अगरतला, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने शुक्रवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने इन विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि ये जनता से कट चुके हैं और केवल सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर 'जीत का भ्रम' पैदा कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री माणिक साहा का यह बयान पश्चिम बंगाल से टीएमसी के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के अगरतला दौरे के एक दिन बाद आया, जिसने कथित तौर पर भाजपा समर्थकों द्वारा अपने पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ के बाद प्राथमिकी दर्ज की थी।
पत्रकारों से बातचीत में डॉ. साहा ने कहा, "माकपा और टीएमसी का समाज से कोई जुड़ाव नहीं बचा। वे घरों में बैठकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं और सोचते हैं कि त्रिपुरा जीत लिया। यह उनकी खोखली राजनीति का सबूत है।"
उन्होंने टीएमसी प्रतिनिधिमंडल पर कटाक्ष करते हुए कहा, "कोलकाता से कुछ नेता एक आदिवासी महिला नेता के साथ आए, यह उम्मीद लेकर कि अगर कोई घटना हो तो उसे जलपाईगुड़ी में हमारे नेता खगेन मुर्मू पर हुए हमले का जवाब देने के लिए इस्तेमाल करेंगे। यह उनकी उकसावे की मानसिकता को दर्शाता है।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रिपुरा सरकार ने स्थिति को परिपक्वता और सटीकता से संभाला, जिससे टीएमसी का 'राजनीतिक नाटक' विफल हो गया। उनके प्रयास विफल हो गए। वे केवल उकसाने आए थे, लेकिन भाजपा जानती है कि उनसे कैसे निपटना है। अगले चुनाव में टीएमसी फिर आएगी, लेकिन हम तैयार हैं। साहा ने कहा कि भाजपा की ताकत जनता के बीच है, न कि सोशल मीडिया की स्क्रीन पर।
उन्होंने कहा, "विपक्ष प्रचार में मशगूल है, लेकिन जनसेवा में नहीं। त्रिपुरा की जनता समझदार है और विकास चाहती है।"
बता दें कि हाल ही में त्रिपुरा में टीएमसी कार्यालय पर हमले की घटना ने विवाद खड़ा किया था। टीएमसी ने आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके कार्यालय में तोड़फोड़ की, जबकि भाजपा ने इसे 'विपक्ष का प्रायोजित ड्रामा' बताया।