क्या दवाओं के आयात पर शुल्क 250 प्रतिशत तक पहुंच सकता है? ट्रंप

सारांश
Key Takeaways
- दवाओं पर शुल्क बढ़ाना ट्रंप का नया कदम है।
- फार्मास्युटिकल उद्योग को स्थानीय उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
- भारत और रूस पर ट्रंप के आरोपों का प्रतिवाद किया गया है।
वॉशिंगटन, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका में दवाओं का निर्माण बढ़ावा देने के लिए आयातित दवाओं पर लगने वाला शुल्क (टैरिफ) धीरे-धीरे बढ़ाकर 250 प्रतिशत तक किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “हम शुरू में फार्मास्युटिकल्स पर छोटा शुल्क लगाएंगे, लेकिन एक साल, डेढ़ साल में यह 150 प्रतिशत तक जाएगा और फिर 250 प्रतिशत तक, क्योंकि हम चाहते हैं कि दवाएं हमारे देश में बनें।”
ट्रंप ने यह भी खुलासा किया कि अमेरिका आने वाले सप्ताहों में विदेशी सेमीकंडक्टर्स और चिप्स पर भी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है, हालांकि उन्होंने इसका कोई विस्तृत विवरण नहीं दिया।
यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब ट्रंप फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री पर दबाव बढ़ा रहे हैं ताकि कंपनियां अमेरिका में ही दवा निर्माण करें। उन्होंने हाल ही में प्रमुख दवा आपूर्तिकर्ताओं से कीमतों में भारी कटौती की मांग की है, अन्यथा और कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
इससे पहले, ट्रंप ने भारत के खिलाफ भी अपने व्यापारिक रुख को सख्त किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत पर अगले 24 घंटों के भीतर आयात शुल्क को पहले घोषित 25 प्रतिशत से काफी अधिक बढ़ाएगा।
ट्रंप ने भारत पर रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदकर उसे फिर से लाभ के लिए बेचने का आरोप लगाया।
भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति के इन आरोपों को “अनुचित और बेबुनियाद” बताते हुए खारिज किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
रूस ने भी ट्रंप की टिप्पणियों की आलोचना की है और अमेरिका की दबाव नीति को “अवैध” करार दिया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि संप्रभु देशों को यह अधिकार है कि वे अपने व्यापारिक और आर्थिक सहयोग के भागीदार खुद तय करें।