क्या उद्धव-राज ठाकरे की 'विक्ट्री रैली' सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है?

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की रैली 5 जुलाई को होगी।
- संजय शिरसाट ने इसे पॉलिटिकल स्टंट कहा।
- रैली में महाविकास अघाड़ी के कई नेता शामिल हो सकते हैं।
- शरद पवार रैली में शामिल नहीं होंगे।
- इस रैली का मुख्य उद्देश्य मराठी संस्कृति को बढ़ावा देना है।
मुंबई, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ 5 जुलाई को वर्ली में विजय रैली का आयोजन करेंगे। इस रैली में महाविकास अघाड़ी के कई नेताओं के शामिल होने की संभावना जताई गई है। ठाकरे बंधुओं की ‘मराठी विजय रैली’ को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री संजय शिरसाट ने एक पॉलिटिकल स्टंट करार दिया है।
मंत्री संजय शिरसाट ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह पॉलिटिकल स्टंट है, इससे अधिक कुछ नहीं। मराठी भाषा से इसका कोई संबंध नहीं है। दोनों भाइयों को एक साथ आना था, उनकी यह इच्छा थी, और वे इसे पूरा कर रहे हैं।
एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि ठाकरे बंधुओं की मराठा विजय रैली से महाविकास अघाड़ी को कोई समस्या नहीं होगी और इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा।
शिरसाट ने यह भी बताया कि पहला सवाल यह है कि शरद पवार उनके साथ रहेंगे या नहीं। यह उन्हें स्पष्ट करना चाहिए। राज ठाकरे के साथ बैठना है या नहीं, यह अब उनका निर्णय है। लेकिन, जो उन्होंने कहा है, उससे यह स्पष्ट है कि शरद पवार का उन्हें समर्थन है। उन्होंने यह भी कहा कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने से हमें कोई परेशानी नहीं है।
हाल ही में, महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर विपक्षी दलों ने महायुति सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। इस बीच, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने एक मंच पर आने का ऐलान किया। हालांकि, दोनों की विजय रैली से पहले महायुति सरकार ने तीसरी भाषा नीति के फैसले को वापस ले लिया है।
5 जुलाई को होने वाली इस रैली को मराठी विजय रैली नाम दिया गया है। इस रैली से महाराष्ट्र के दिग्गज मराठा नेता शरद पवार दूरी बनाएंगे; वह इसमें शामिल नहीं होंगे। रैली के आयोजन स्थल पर लगाए गए पोस्टरों में उद्धव और राज ठाकरे को प्रमुखता से दिखाया गया है। माना जा रहा था कि शरद पवार इस रैली में शामिल होंगे, लेकिन वह अपने पहले से तय कार्यक्रमों के कारण शामिल नहीं होंगे।