क्या उदित राज ने सीजेआई के अपमान के लिए 'सनातनियों' को जिम्मेदार ठहराया?

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क्या उदित राज ने सीजेआई के अपमान के लिए 'सनातनियों' को जिम्मेदार ठहराया?

सारांश

उदित राज ने सीजेआई बीआर गवई के अपमान के लिए 'सनातनियों' को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने दावा किया कि सनातन विचारधारा का बढ़ता प्रभाव इस घटना का कारण है। जानिए इस विवाद के पीछे की वजहें और उदित राज के विचार।

Key Takeaways

  • उदित राज ने सीजेआई के अपमान के लिए सनातनियों को जिम्मेदार ठहराया।
  • इस घटना में राकेश किशोर का नाम शामिल है।
  • कांग्रेस नेता ने धार्मिक हस्तियों की राजनीति में दखल के प्रभाव पर चर्चा की।
  • उन्हें बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन का समर्थन है।
  • उन्होंने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक पर भी अपने विचार व्यक्त किए।

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वरिष्ठ कांग्रेस नेता उदित राज ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के भीतर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई के अपमान के लिए 'सनातनियों' को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाओं के पीछे सनातन विचारधारा का बढ़ता प्रभाव है।

यह घटना सोमवार को हुई जब वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश किशोर ने कथित तौर पर मुख्य न्यायाधीश गवई की अध्यक्षता वाली पीठ पर कोई वस्तु फेंककर अदालत की कार्यवाही बाधित करने का प्रयास किया।

सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और उन्हें अदालत कक्ष से बाहर ले गए। जब उन्हें ले जाया जा रहा था, तो किशोर ने सनातन धर्म की रक्षा में नारे लगाए।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए उदित राज ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "नेतृत्व का अपना प्रभाव होता है। दिन-रात टीवी पर सिर्फ 'सनातन' की बातें होती रहती हैं। इसलिए, इसका असर जरूर पड़ेगा। गोडसे भी सनातनी थे। हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले भी सनातनी हैं। गौरी लंकेश की हत्या करने वाले भी सनातनी थे। यहां तक कि मुख्य न्यायाधीश गवई का अपमान करने वाला वकील भी सनातनी था। यहां सनातनियों की एक सूची है।"

कांग्रेस नेता ने भारत और पाकिस्तान की तुलना करते हुए कहा कि अगर आजादी के बाद धार्मिक हस्तियों ने शासन में हस्तक्षेप किया होता, तो भारत की स्थिति पड़ोसी देश से भी बदतर होती।

उन्होंने कहा, "अगर आजादी के बाद 'बाबाओं' ने शासन में दखल दिया होता, तो भारत की हालत पाकिस्तान से भी बदतर होती। कम से कम पाकिस्तान में एक धर्म तो है जो उसके देश को एक सूत्र में बांधता है। यहां अगर 'बाबाओं' ने सत्ता संभाली होती, तो सब कुछ बर्बाद हो जाता। रायबरेली में दलित युवक की हत्या भी 'बाबाओं' के गुंडों ने की थी।"

उत्तराखंड के राज्यपाल ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है, जिससे सभी मदरसों के लिए उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड से संबद्ध होना अनिवार्य हो गया है। इस पर कांग्रेस नेता उदित राज कहते हैं, "मौलिक अधिकारों, शिक्षा के अधिकारों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों, उनकी स्वतंत्रता और संस्थाओं का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जानी चाहिए। सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।"

उदित राज ने आम आदमी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह नटवर लाल हैं। अंबेडकर की फोटो और झाड़ू दिखाकर दलितों का सारा वोट ले लिया और 15 राज्‍यसभा सदस्‍य अभी तक बनाए हैं, इनमें से एक भी दलित नहीं है। वीआईपी कल्‍चर का विरोध करने वाला अब खुद ही वीआईपी बन गया है।

उन्होंने बिहार चुनाव को लेकर कहा कि माहौल इंडिया गठबंधन के पक्ष में है। एनडीए की सरकार में प्रदेश का विकास नहीं हो सका। कानून व्यवस्था और रोजगार देने में यह सरकार विफल रही।

Point of View

जो राजनीतिक और सामाजिक ध्रुवीकरण को इंगित करता है। इस प्रकार की टिप्पणियाँ न केवल वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि समाज में व्याप्त विभाजन को भी बढ़ावा देती हैं।
NationPress
07/10/2025

Frequently Asked Questions

उदित राज ने किसकी आलोचना की?
उदित राज ने सीजेआई बीआर गवई के अपमान के लिए 'सनातनियों' की आलोचना की।
यह घटना कब हुई?
यह घटना 7 अक्टूबर को हुई थी।
उदित राज का मुख्य तर्क क्या है?
उदित राज का मुख्य तर्क है कि सनातन विचारधारा का बढ़ता प्रभाव इस प्रकार की घटनाओं का कारण है।