क्या यूपी के किसान मक्के की खेती के मुरीद हो गए हैं, एमएसपी से खरीद की निश्चित गारंटी के साथ?

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क्या यूपी के किसान मक्के की खेती के मुरीद हो गए हैं, एमएसपी से खरीद की निश्चित गारंटी के साथ?

सारांश

उत्तर प्रदेश के किसान मक्के की खेती में रुचि दिखा रहे हैं। कम पानी में उगने वाली इस फसल की लोकप्रियता बढ़ रही है, जिससे किसानों की आय भी बढ़ रही है। जानिए, मक्के की खेती के लाभ और इसके पीछे की सरकारी योजनाएं।

Key Takeaways

  • मक्के की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है।
  • सरकारी प्रोत्साहन किसानों को मदद कर रहा है।
  • किसान प्रति हेक्टेयर ढाई लाख रुपए तक की आय प्राप्त कर सकते हैं।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से खरीद की गारंटी है।
  • मक्का पोषक तत्वों से भरपूर है।

लखनऊ, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। अनाजों की रानी के नाम से मशहूर मक्के की खेती उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। बाराबंकी के कुछ किसान तो इस फसल को इतना पसंद करने लगे हैं कि उन्होंने मेंथा की जगह कम पानी में उगने वाले मक्के की खेती शुरू कर दी है। यहां इसके रकबे में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

किसानों का मक्के की खेती की तरफ रुझान बिना वजह नहीं है। यहां डबल इंजन वाली सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहनों की प्रमुख भूमिका है। खासकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की सुनिश्चित गारंटी एवं त्वरित मक्का विकास योजना के तहत मिलने वाले लाभ ने किसानों को आकर्षित किया है।

विपणन वर्ष 2024-2025 के लिए योगी सरकार ने प्रति क्विंटल मक्के की एमएसपी 2,225 रुपए निर्धारित की है। 15 जून से इसकी खरीद प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, जो 31 जुलाई तक चलेगी। जिन जिलों में एमएसपी पर मक्के की खरीद की जाएगी, उनमें बुलंदशहर, बदायूं, अलीगढ़, एटा, कासगंज, फिरोजाबाद, हाथरस, मैनपुरी, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, औरैया, कन्नौज, इटावा, फर्रुखाबाद, बहराइच, बलिया, गोंडा, संभल, रामपुर, अयोध्या और मीरजापुर शामिल हैं।

औरैया में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम योगी ने मक्के की खेती करने वाले किसानों की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश के 20-25 जिलों में मक्के की खेती हो रही है। प्रति हेक्टेयर किसानों की आय लगभग ढाई लाख रुपए है, अर्थात प्रति एकड़ एक लाख रुपए। इसके अलावा, प्रगतिशील किसान बेहतर फसल चक्र अपनाकर तीन फसलों (आलू, मक्का एवं धान) की खेती कर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। अपने संबोधन में उन्होंने मक्के की बहु उपयोगिता का भी जिक्र किया।

उन्होंने बताया कि मक्का एक पोषक आहार है। इसके जरिए स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, बायोफ्यूल और बायोप्लास्टिक का उत्पादन संभव है।

मक्के में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा धान, गेहूं, रागी, बाजरा, कोदो और सावा से भी अधिक होती है। इसके अलावा, इसमें खनिज लवण और फाइबर भी भरपूर होते हैं। यह इंसानों के अलावा पशुओं और पोल्ट्री आहार के लिए भी उपयुक्त है।

बाराबंकी के किसान विशेष रूप से प्रगतिशील हैं। यहां के किसान पिछले कुछ वर्षों में जायद सीजन में कम पानी वाले मक्के की खेती करने लगे हैं।

पिछले तीन वर्षों में मसौली, रामनगर, फतेहपुर और निंदूरा ब्लॉक में किसानों को मक्का की खेती के लिए प्रेरित किया गया है और उन्हें बीज भी उपलब्ध कराए गए हैं। पहले जायद में खेत खाली रहते थे या मेंथा की खेती होती थी। अब मक्के की खेती हो रही है। उपज अच्छी हो रही है और बाजार में इसका मूल्य (प्रति क्विंटल 2,500 रुपए) भी सही मिल रहा है। इस कम अवधि की फसल के कारण रबी एवं खरीफ की अन्य फसलों की खेती भी संभव हो रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों से किसानों में मक्के की खेती का उत्साह बढ़ा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल में मक्के का उत्पादन 2027 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार, हाल ही में लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय खरीफ गोष्ठी में प्रदेश के कृषि मंत्री ने मक्का सहित अन्य फसलों के उत्पादन बढ़ाने की अपील की थी। मक्के की खेती अब किसानों को बहुत भा रही है।

पोषक तत्वों और उपयोगिता के मामले में मक्का बेजोड़ है। यह हर मौसम और हर प्रकार की भूमि में उग सकता है। बस, जिस खेत में मक्का बोना है, उसमें जल निकासी का बेहतर प्रबंधन आवश्यक है।

मक्के का उपयोग इथेनॉल उत्पादन करने वाली उद्योगों, पशुओं एवं पोल्ट्री के लिए आहार, दवा, पेपर और एल्कोहल उद्योग में होता है। इसके अलावा, भुट्टा, आटा, बेबी कॉर्न और पॉपकॉर्न के रूप में भी इसका सेवन किया जाता है। यह हर सूप का एक अनिवार्य हिस्सा होता है। ये सभी क्षेत्र संभावनाओं से भरे हुए हैं।

मक्के की बढ़ती मांग के साथ, सरकार किसानों को खेती के प्रति जागरूक कर रही है और उन्हें उन्नत तरीकों की जानकारी दे रही है। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, इसके लिए यह पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में आ चुका है।

विशेषज्ञों के अनुसार, उन्नत खेती के माध्यम से मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज 100 क्विंटल तक संभव है। तमिलनाडु में प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक उत्पादन 59.39 क्विंटल है, जबकि देश का औसत 26 क्विंटल और उत्तर प्रदेश का औसत 2021-22 में 21.63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था। इस प्रकार, यहां मक्के की उपज बढ़ने की भरपूर संभावनाएं हैं।

Point of View

यह कहना उचित है कि किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए मक्के की खेती एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल उनकी आय में वृद्धि करता है बल्कि कृषि विविधता को भी बढ़ावा देता है।
NationPress
20/06/2025

Frequently Asked Questions

मक्के की खेती के फायदे क्या हैं?
मक्के की खेती से किसानों की आय बढ़ती है, यह कम पानी में उगता है और इसके कई औद्योगिक उपयोग भी हैं।
उत्तर प्रदेश में मक्के की एमएसपी क्या है?
विपणन वर्ष 2024-2025 के लिए मक्के की एमएसपी 2,225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है।
किस जिलों में मक्के की खरीद चल रही है?
मक्के की खरीद बुलंदशहर, बदायूं, अलीगढ़, एटा और कई अन्य जिलों में हो रही है।
मक्के की खेती के लिए कौन से तरीके अपनाए जा सकते हैं?
उन्नत खेती के तरीके अपनाकर मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज को बढ़ाया जा सकता है।
क्या मक्के की खेती आर्थिक रूप से फायदेमंद है?
जी हां, मक्के की खेती किसानों को अच्छी आय प्रदान कर सकती है और यह एक बहुउपयोगी फसल है।