क्या उपराष्ट्रपति ने काशी तमिल संगमम को भारत की शाश्वत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतीक बताया?

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क्या उपराष्ट्रपति ने काशी तमिल संगमम को भारत की शाश्वत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतीक बताया?

सारांश

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने काशी तमिल संगमम को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताया। इस कार्यक्रम में काशी और तमिलनाडु के बीच के गहरे बंधन को उजागर किया गया। जानें इस पहल का महत्व और प्रधानमंत्री मोदी की दृष्टि में इसका स्थान।

Key Takeaways

  • काशी तमिल संगमम भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
  • उपराष्ट्रपति ने साझा विरासत का महत्व बताया।
  • यह कार्यक्रम रामेश्वरम में आयोजित किया गया था।
  • प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोच का उदाहरण है।
  • राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का प्रयास है।

नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को रामेश्वरम की पवित्र भूमि पर आयोजित काशी तमिल संगमम 4.0 के समापन समारोह को संबोधित करते हुए इस पहल को भारत की शाश्वत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतीक बताया।

काशी और तमिलनाडु के बीच अटूट बंधन को उजागर करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह संबंध केवल ऐतिहासिक नहीं है, बल्कि एक गहन सभ्यतागत और आध्यात्मिक निरंतरता है जिसने हजारों वर्षों से भारत को एकजुट रखा है।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आदान-प्रदान भारत की साझा विरासत की पुष्टि करते हैं और राष्ट्रीय एकता की भावना को गहरा करते हैं।

उपराष्ट्रपति ने महाकवि सुब्रमण्यम भारती के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा कि काशी तमिल संगमम एकजुट, एकीकृत और आत्मविश्वासी भारत के बारे में कवि के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने कहा कि भारती का यह सपना आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और लक्षित पहलों के माध्यम से साकार हो रहा है।

प्रधानमंत्री के 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के दृष्टिकोण पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि काशी-तमिल संगम जैसी पहल सांस्कृतिक आदान-प्रदान, साझा विरासत और आपसी सम्मान के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे प्रयास देश को विकसित भारत के लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर कर रहे हैं।

समापन समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने भाग लिया। साथ ही इस समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्य मंत्री एल. मुरुगन, नैनार नागेंद्रन, विधायक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि समेत कई लोग मौजूद थे।

काशी तमिल संगमम एक ऐसे रिश्ते का जश्न है जो सदियों से भारतीय कल्पना में बसा हुआ है। अनगिनत तीर्थयात्रियों, विद्वानों और साधकों के लिए तमिलनाडु और काशी के बीच का सफर कभी भी सिर्फ शारीरिक तौर पर आने-जाने का रास्ता नहीं था। यह विचारों, सोच, भाषाओं और जीवित परंपराओं का एक आंदोलन था। संगमम इसी भावना से प्रेरित है, एक ऐसे बंधन को जिंदा करता है जिसने पीढ़ियों से भारत के सांस्कृतिक माहौल को शांतिपूर्वक आकार दिया है।

जब भारत आजादी के 75 साल पूरे होने पर पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाए जाने के महत्व के बारे में गहराई और गंभीरता से सोच रहा था और अपनी सभ्यतागत विरासत की गहराई को फिर खोज रहा था, संगमम देश को जोड़ने वाली सांस्कृतिक निरंतरता को फिर से पक्का करने के लिए एक उद्देश्यपूर्ण कोशिश के तौर पर सामने आया।

Point of View

बल्कि वर्तमान में भी हमारी एकता और साझा विरासत को सशक्त बनाने का माध्यम है।
NationPress
30/12/2025

Frequently Asked Questions

काशी तमिल संगमम का क्या महत्व है?
काशी तमिल संगमम भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है, जो काशी और तमिलनाडु के बीच के गहरे संबंध को दर्शाता है।
उपराष्ट्रपति का इस कार्यक्रम में क्या योगदान था?
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने इस कार्यक्रम में अपने विचार साझा किए और इसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया।
इस संगम का आयोजन कब हुआ था?
काशी तमिल संगमम 4.0 का समापन समारोह 30 दिसंबर को आयोजित किया गया।
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