क्या विश्व हिंदू परिषद ने ट्रेनों में दिए जा रहे मांसाहारी भोजन पर सवाल उठाया?
सारांश
Key Takeaways
- विश्व हिंदू परिषद ने मांसाहारी भोजन पर सवाल उठाया है।
- एनएचआरसी ने भारतीय रेल को नोटिस भेजा है।
- धर्मनिरपेक्षता का सम्मान होना चाहिए।
- यात्रियों को भोजन के विकल्प उपलब्ध होना चाहिए।
- सभी समुदायों के अधिकारों की रक्षा आवश्यक है।
नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के दिल्ली प्रांत ने ट्रेनों में परोसे जा रहे मांसाहारी भोजन के मुद्दे पर एक पत्र जारी किया है। यह पत्र राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा भारतीय रेल को भेजे गए नोटिस के बाद सामने आया है।
ट्रेनों में दिए जा रहे मांसाहारी भोजन में केवल हलाल प्रोसेस्ड मांस उपलब्ध कराए जाने की शिकायत पर आयोग ने त्वरित संज्ञान लिया है और भारतीय रेल से स्पष्टीकरण मांगा है।
इसे लेकर विहिप ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह एक विशेष धार्मिक प्रक्रिया को बढ़ावा देने जैसा है, जो अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक समुदायों के अधिकारों की अनदेखी करता है।
विहिप के प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि इस मुद्दे पर प्रांत अध्यक्ष कपिल खन्ना ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने एनएचआरसी को धन्यवाद ज्ञापन भेजते हुए आयोग की पहल की सराहना की और आशा जताई कि इससे सभी समुदायों के अधिकार सुरक्षित होंगे।
सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि विहिप का मानना है कि भारतीय रेल एक धर्मनिरपेक्ष सार्वजनिक संस्था है। उनका कहना था कि यात्रियों को अपनी पसंद के अनुसार भोजन का विकल्प मिलना चाहिए। साथ ही रेलवे को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भोजन सेवा धर्मनिरपेक्ष और खाद्य सुरक्षा मानकों के तहत हो। यदि धार्मिक प्रक्रिया-आधारित मांस परोसा जाता है, तो पारदर्शिता और विकल्प दोनों उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सभ्यता सदैव 'अनेकता में एकता' के सिद्धांत पर आधारित रही है।
विहिप ने एनएचआरसी की पहल का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि भारतीय रेल एक संतुलित, पारदर्शी और निष्पक्ष नीति अपनाएगी, जिससे सभी यात्रियों के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा।
बता दें कि हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद एनएचआरसी ने 24 नवंबर को मामले से संबंधित कार्रवाई में कहा था कि शिकायत में लगाए गए आरोप मानवाधिकारों का उल्लंघन प्रतीत होते हैं।
एनएचआरसी ने कहा कि केवल हलाल मांस बेचने की प्रथा हिंदू अनुसूचित जाति समुदायों और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों की आजीविका को प्रभावित करती है, इसलिए रेलवे को भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना के अनुसार सभी धार्मिक आस्थाओं के लोगों के भोजन चुनने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए।