क्या थोक महंगाई दर में कमी से देश में विकास और मांग को मिलेगा बूस्ट?

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क्या थोक महंगाई दर में कमी से देश में विकास और मांग को मिलेगा बूस्ट?

सारांश

थोक महंगाई दर में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगें कई लाभ। कंपनियों की लागत कम होगी, घरेलू मांग में होगी वृद्धि, और आर्थिक विकास को मिलेगा मजबूती का समर्थन। जानिए उद्योग विशेषज्ञों का क्या कहना है।

Key Takeaways

  • थोक महंगाई दर में गिरावट का अर्थ है कम कीमतें।
  • यह कंपनियों की लागत को कम करता है।
  • घरेलू मांग में वृद्धि आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है।
  • भविष्य के लिए सकारात्मक आउटलुक बना हुआ है।
  • अंतरराष्ट्रीय कीमतों का भी असर पड़ेगा।

नई दिल्ली, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उद्योग विशेषज्ञों ने सोमवार को यह बताया कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति में लगातार सातवें महीने गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। इससे कंपनियों की परिचालन लागत कम होगी, घरेलू मांग में वृद्धि होगी और आर्थिक विकास को समर्थन प्राप्त होगा।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि दिसंबर 2024 से थोक मुद्रास्फीति में लगातार नरमी उत्साहजनक है और यह व्यापक आर्थिक स्थितियों में सुधार का संकेत देती है।

उन्होंने बताया कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 के 2.57 प्रतिशत से घटकर जून 2025 में (-)0.13 प्रतिशत हो गई है, जिससे सभी क्षेत्रों में कारोबारी धारणा मजबूत हुई है।

जैन ने कहा, "कीमतों में यह नरमी व्यवसायों को लागत का बेहतर प्रबंधन करने में मदद करेगी और उपभोग-आधारित विकास को बढ़ावा दे सकती है।"

उन्होंने आगे कहा कि बढ़ती घरेलू मांग, सामान्य मानसून की उम्मीद और मजबूत आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए आउटलुक सकारात्मक बना हुआ है।

जैन ने कहा, "हमारा अनुमान है कि मौजूदा भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद आने वाले महीनों में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति मध्यम बनी रहेगी।"

थोक महंगाई दर जून में गिरकर (-)0.13 प्रतिशत हो गई है। इसकी वजह खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी आना है।

इस वर्ष की शुरुआत से यह पहला मौका है जब थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर नकारात्मक स्तर और 14 महीने के न्यूनतम स्तर पर चली गई है। मई में थोक महंगाई दर 0.39 प्रतिशत थी।

थोक महंगाई के ताजा आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए आईसीआरए के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि जुलाई में खाद्य पदार्थों की कीमतों में मौसमी वृद्धि अब तक मामूली रही है और यदि सब्जियों की कीमतों में अचानक वृद्धि नहीं होती है, तो खाद्य मुद्रास्फीति अपस्फीति क्षेत्र में ही रह सकती है।

उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और स्थिर अमेरिकी डॉलर/रुपए की विनिमय दर से मौजूदा अपस्फीति प्रवृत्ति को समर्थन मिलने की उम्मीद है।"

उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर, हमारा अनुमान है कि जुलाई 2025 में भी मुख्य थोक मूल्य सूचकांक अपस्फीति में ही रहेगा।"

Point of View

थोक महंगाई में कमी से व्यवसायों को राहत मिलेगी, जिससे घरेलू उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। यह सभी आर्थिक गतिविधियों के लिए अनुकूल है। हमें वैश्विक बाजारों के साथ प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए इस अवसर का सही उपयोग करना चाहिए।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

थोक महंगाई दर में कमी का अर्थ क्या है?
थोक महंगाई दर में कमी का मतलब है कि उत्पादों की कीमतें कम हो रही हैं, जिससे कंपनियों की लागत में कमी आती है और उपभोक्ताओं के लिए सामान सस्ता होता है।
क्या इस गिरावट का दीर्घकालिक प्रभाव होगा?
अगर यह प्रवृत्ति बनी रहती है, तो निश्चित रूप से दीर्घकालिक प्रभाव होगा। इससे आर्थिक विकास और उपभोग बढ़ सकता है।
घरेलू मांग में वृद्धि का क्या असर होगा?
घरेलू मांग में वृद्धि से उत्पादन बढ़ेगा, जिससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
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