क्या योगी सरकार युवाओं को स्वरोजगार में मदद कर रही है?
सारांश
Key Takeaways
- योगी सरकार युवाओं को स्वरोजगार के लिए विशेष लाभ दे रही है।
- सीएम युवा योजना के तहत 1.70 लाख युवाओं को लाभ मिलेगा।
- ओडीओपी योजना से पारंपरिक हस्तकला को पुनर्जीवित किया गया है।
- महिलाओं के लिए नए बाजार और डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराए गए हैं।
- सरकारी सहयोग से उद्योग आधारित आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है।
लखनऊ, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार युवाओं को कौशल, पूंजी और बाजार से जोड़कर राज्य में सूक्ष्म और परंपरागत उद्योगों की एक नई क्रांति की शुरुआत कर रही है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (सीएम-युवा) के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 में 1.70 लाख युवाओं को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही, हर साल 1 लाख से अधिक नए सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने का भी प्रयास किया जा रहा है।
योगी सरकार की योजनाओं का मुख्य उद्देश्य युवा, महिला और पारंपरिक हस्तशिल्प को एक साझा आर्थिक विकास मॉडल से जोड़ना है। इस व्यापक दृष्टिकोण ने स्वरोजगार, उद्यमिता और रोजगार सृजन के लिए नए अवसरों का मार्ग प्रशस्त किया है।
सीएम युवा योजना के तहत, प्रदेश के 21 से 40 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं को 5 लाख रुपए तक के उद्योगों और सेवा परियोजनाओं पर 100 प्रतिशत ब्याज-मुक्त और बिना गारंटी ऋण दिया जा रहा है। इसके अलावा, परियोजना लागत पर 10 प्रतिशत मार्जिन मनी का अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है। न्यूनतम 8वीं पास और किसी मान्यता प्राप्त संस्था से कौशल प्रशिक्षण प्राप्त युवा इस योजना के लिए पात्र हैं। प्रशिक्षण के बाद, इनमें से अनेक युवा न केवल स्वयं उद्यमी बन रहे हैं, बल्कि अन्य युवाओं और महिलाओं को भी रोजगार प्रदान कर रहे हैं। इससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उद्योग आधारित आर्थिक गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रही है।
योगी सरकार ने ओडीओपी योजना के माध्यम से पारंपरिक हस्तकला और हस्तशिल्प को एक नया जीवन दिया है, जो 2017 से पहले समाप्ति के कगार पर थे। प्रदेश का शजर उद्योग इसका एक मजबूत उदाहरण है। देश में केवल केन नदी की रेत में मिलने वाला यह कीमती शजर पत्थर कभी कुछ हस्तशिल्प परिवारों की आजीविका का सहारा था। लेकिन सरकार ने इसे ओडीओपी से जोड़कर न केवल इसका बाजारीकरण किया, बल्कि इसे जीआई टैग भी दिलाया। इसका परिणाम यह रहा कि शजर उद्योग से जुड़े परिवारों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। यह बदलाव इस बात का प्रमाण है कि सरकारी सहयोग, प्रशिक्षण और वित्तीय मदद कैसे किसी विलुप्तप्राय उद्योग को पुनर्जीवित कर सकती है। चाहे विश्वकर्मा श्रम सम्मान हो या टूलकिट वितरण, इन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश में कारीगरों को कुशल बनाकर उनकी आर्थिक उन्नति सुनिश्चित की जा रही है।
यह ध्यान देने योग्य है कि शजर उद्योग के साथ ही प्रदेशभर में ओडीओपी के माध्यम से महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों, कारीगरों और युवाओं को नए बाजार, प्रशिक्षण और डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराए गए हैं। इससे हजारों महिलाओं को स्वरोजगार मिला है और वे अपने उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में सक्षम हुई हैं। महिला स्वावलंबन, परंपरागत कारीगरी और आधुनिक विपणन का यह संगम अब उत्तर प्रदेश की नई आर्थिक पहचान बनता जा रहा है।