क्या बढ़ रहा है यूरिक एसिड का खतरा? पानी दे सकता है इस समस्या से राहत

सारांश
Key Takeaways
- यूरिक एसिड का बढ़ना युवाओं में आम हो रहा है।
- पानी एक सस्ता और प्रभावी समाधान है।
- दिन में 14-16 गिलास पानी पीना चाहिए।
- पानी पाचन को बेहतर बनाता है।
- यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए खानपान का ध्यान रखें।
नई दिल्ली, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान और रहन-सहन का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। सुबह से लेकर रात तक हम फास्ट फूड, तले-भुने पदार्थ और प्रोटीन से भरपूर चीजें खाते हैं। इस दौरान हम यह नहीं सोचते कि इसका हमारे शरीर पर क्या असर होगा। इसी लापरवाही के चलते हमारे शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, जिनमें से एक है 'यूरिक एसिड' का बढ़ना। पहले यह समस्या ज्यादातर बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब यह युवा पीढ़ी में भी फैल गई है। जोड़ों में दर्द, सूजन, चलने में कठिनाई और शरीर का अकड़ना, ये सभी इसके संकेत हो सकते हैं। क्या आप जानते हैं कि इस समस्या की जड़ हमारे पाचन और मेटाबॉलिज्म में होती है?
जब हम प्रोटीन से भरपूर चीजें खाते हैं, तो शरीर में प्यूरिन नामक तत्व बनता है। यदि शरीर इसे सही से पचा नहीं पाता, तो यह यूरिक एसिड में परिवर्तित हो जाता है। जब यह यूरिक एसिड समय पर शरीर से बाहर नहीं निकलता, तो यह जोड़ों में जमा होकर दर्द और सूजन उत्पन्न कर सकता है, या किडनी में जाकर पथरी बना सकता है। इसका सबसे सरल, सस्ता और प्रभावी समाधान है 'पानी'.
पानी इस समस्या का सबसे महत्वपूर्ण हल है। जैसे झाड़ू घर की गंदगी साफ करती है, वैसे ही पानी शरीर में जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। जब आप पर्याप्त पानी पीते हैं, तो शरीर में बनने वाला यूरिक एसिड पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाता है। इससे शरीर साफ रहता है और जोड़ों पर इसका दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। इसके अलावा, पानी पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है, जिससे प्यूरिन ठीक से पचता है और यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने नहीं पाती।
यदि आप दिनभर कम पानी पीते हैं, तो शरीर में सूखापन बढ़ता है। इस कारण किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती और यूरिक एसिड धीरे-धीरे शरीर में जमा होने लगता है। इसलिए जिन व्यक्तियों को पहले से यूरिक एसिड की समस्या है या जो प्रोटीन का अधिक सेवन करते हैं, उन्हें दिनभर में कम से कम 14 से 16 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। इससे न केवल यूरिक एसिड बाहर निकलता है, बल्कि जोड़ों में नमी बनी रहती है, जिससे सूजन और दर्द में भी राहत मिलती है।