क्या इजरायल-ईरान संघर्ष, कच्चे तेल की कीमत और फेड की नीतियां शेयर बाजार को प्रभावित करेंगी?

सारांश
Key Takeaways
- इजरायल-ईरान संघर्ष का असर भारतीय शेयर बाजार पर होगा।
- अमेरिकी फेड की बैठक से ब्याज दरों में बदलाव हो सकता है।
- कच्चे तेल की कीमतें बाजार को प्रभावित करेंगी।
- थोक महंगाई के आंकड़े महत्वपूर्ण हैं।
- निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।
नई दिल्ली, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शेयर बाजार के लिए अगला हफ्ता अत्यंत महत्वपूर्ण रहने वाला है। इजरायल-ईरान संघर्ष, कच्चे तेल की कीमतें, अमेरिकी फेड की नीतियों और थोक महंगाई के आंकड़ों से बाजार की दिशा प्रभावित होगी।
इजरायल-ईरान का यह संघर्ष विश्व भर के शेयर बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण कारक साबित होगा। हाल के दिनों में मध्य-पूर्व में बढ़ते तनावों का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा है।
अमेरिकी फेड की बैठक 17 से 18 जून तक होगी, जिसमें ब्याज दरों की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक के परिणामों पर निवेशकों की दृष्टि अगली हफ्ते केंद्रित होगी।
इसके अलावा, 16 जून को मई के थोक महंगाई और ट्रेड बैलेंस के आंकड़े जारी किए जाएंगे, जिन पर बाजार की प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।
वैश्विक कारणों से पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का सामना करना पड़ा। इस दौरान निफ्टी और सेंसेक्स क्रमशः 24,718 और 81,118 पर एक प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट के साथ बंद हुए।
बाजार में गिरावट का प्रमुख कारण एफएमसीजी, रियल्टी, पीएसयू बैंक और कंजम्पशन इंडेक्स रहे, जिनमें 2 प्रतिशत से अधिक की कमी आई। हालांकि, फार्मा, आईटी और मीडिया क्षेत्रों में तेजी देखी गई।
पिछले हफ्ते विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ने 1,246 करोड़ रुपए के शेयरों की बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक ने 18,637 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी।
बजाज ब्रोकिंग का कहना है कि निफ्टी 24,400-25,200 के दायरे में लगातार कंसोलिडेशन कर सकता है। यदि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है और इंडेक्स इस बैंड के निचले स्तरों को तोड़ता है, तो 24,000 के स्तर देखे जा सकते हैं।
यदि निफ्टी 25,000 के उच्च स्तर को पार करता है, तो हाल की गिरावट पर विराम लग सकता है।