क्या अमेरिका के टैरिफ के बावजूद भारत का व्यापार घाटा अगस्त में घटा?

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क्या अमेरिका के टैरिफ के बावजूद भारत का व्यापार घाटा अगस्त में घटा?

सारांश

भारत का व्यापार घाटा अगस्त में 26.49 अरब डॉलर तक पहुँच गया है, जो जुलाई के 27.35 अरब डॉलर से कम है। इस स्थिति में अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक बाजारों की अनिश्चितता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जानिए कैसे सरकार ने निर्यातकों को समर्थन दिया है।

Key Takeaways

  • भारत का व्यापार घाटा अगस्त में 26.49 अरब डॉलर तक घटा।
  • अमेरिकी टैरिफ के कारण निर्यात पर प्रभाव पड़ा।
  • सरकार ने निर्यातकों के लिए नए कदम उठाए हैं।
  • रूसी तेल पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है।
  • रसायन और पेट्रोरसायन क्षेत्र का निर्यात 46.4 बिलियन डॉलर है।

नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का व्यापार घाटा जुलाई के 27.35 अरब डॉलर से घटकर अगस्त में 26.49 अरब डॉलर पर पहुँच गया, जैसा कि वाणिज्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों में बताया गया है।

अमेरिकी टैरिफ से जुड़ी चिंताओं के बीच वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के कारण, अगस्त में निर्यात जुलाई के 37.24 अरब डॉलर से घटकर 35.1 अरब डॉलर रह गया, जबकि आयात पिछले महीने के 64.59 अरब डॉलर से घटकर 61.59 अरब डॉलर रह गया।

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, "वैश्विक और व्यापार नीति की अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय निर्यातकों ने अच्छा प्रदर्शन किया, जो दर्शाता है कि सरकार की नीति सफल रही है।"

इस बीच, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय निर्यातकों को आश्वासन दिया है कि सरकार बढ़ते व्यापार टैरिफ से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में उनकी मदद के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने इस महीने की शुरुआत में बदलते व्यापार परिदृश्य के बीच आगे की राह तय करने के लिए निर्यात संवर्धन परिषदों और उद्योग संघों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की।

सरकार ने निर्यातकों को बड़ी राहत देते हुए अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के अंतर्गत आने वाले उत्पादों के लिए अग्रिम प्राधिकरण के तहत एक्पोर्ट ऑब्लिगेशन पीरियड को 6 महीने से बढ़ाकर 18 महीने कर दिया है।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा इस महीने की शुरुआत में रसायन और पेट्रोरसायन विभाग के निर्देश पर जारी किया गया यह आदेश, कपड़ा जैसे अन्य मंत्रालयों द्वारा अधिसूचित गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के लिए इसी तरह के समायोजन के बाद आया है, जहां अवधि को भी 18 महीने तक बढ़ा दिया गया था।

यह उपाय पूरे भारत में रसायनों और पेट्रोरसायन का कारोबार करने वाले निर्यातकों को आवश्यक सहायता और मजबूती प्रदान करता है।

बयान में कहा गया है कि इस कदम से व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाने और भारतीय वस्तुओं की वैश्विक बाजार में बढ़त को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने अमेरिका में आने वाले सभी आयातों पर शुल्क बढ़ा दिया है, जिससे वैश्विक बाजार में आर्थिक अनिश्चितता पैदा हो गई है। भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाता है।

सरकार लक्षित रणनीतियों के माध्यम से रसायन और पेट्रोरसायन क्षेत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 2024-25 में, इस क्षेत्र का निर्यात योगदान 46.4 बिलियन डॉलर के प्रभावशाली स्तर पर पहुंच गया, जो देश के कुल निर्यात मूल्य का 10.6 प्रतिशत है।

Point of View

भारत का व्यापार घाटा कम होना एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक स्थितियों और अमेरिकी टैरिफ की चुनौतियों के बीच, निर्यातकों को समर्थन देने के लिए सरकार की पहल महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि सरकार की नीतियाँ निर्यातकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने पर केंद्रित हैं।
NationPress
15/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत का व्यापार घाटा अगस्त में कितना रहा?
भारत का व्यापार घाटा अगस्त में 26.49 अरब डॉलर रहा।
अमेरिकी टैरिफ का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
अमेरिकी टैरिफ के चलते वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी है, जिससे निर्यात प्रभावित हुआ है।
सरकार ने निर्यातकों के लिए क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने निर्यातकों के लिए एक्पोर्ट ऑब्लिगेशन पीरियड को 6 महीने से बढ़ाकर 18 महीने कर दिया है।
क्या भारत ने रूसी तेल पर टैरिफ लगाया है?
हां, भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है।
भारत का रसायन और पेट्रोरसायन क्षेत्र का निर्यात योगदान कितना है?
2024-25 में रसायन और पेट्रोरसायन क्षेत्र का निर्यात योगदान 46.4 बिलियन डॉलर है।