क्या भारत में 56 प्रतिशत नियोक्ता चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अपने वर्कफोर्स को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं?

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क्या भारत में 56 प्रतिशत नियोक्ता चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अपने वर्कफोर्स को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं?

सारांश

भारत में 56 प्रतिशत नियोक्ता अपने वर्कफोर्स को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि बड़े उद्यम हायरिंग में तेजी लाने के लिए तैयार हैं, जबकि मध्यम और छोटे व्यवसाय सतर्कता बरत रहे हैं। जानिए प्रमुख क्षेत्रों और नियोक्ताओं की रणनीतियों के बारे में।

Key Takeaways

  • 56 प्रतिशत नियोक्ता वर्कफोर्स बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
  • बड़े उद्यम हायरिंग की गति बढ़ा रहे हैं।
  • ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं।
  • नियोक्ता प्रदर्शन-आधारित रणनीतियों को अपना रहे हैं।
  • बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई में नियुक्ति में वृद्धि हो रही है।

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में 56 प्रतिशत नियोक्ता चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अपने वर्कफोर्स को बढ़ाने का इरादा रखते हैं। वहीं, 27 प्रतिशत नियोक्ता अपनी स्थिति को बनाए रखने की योजना बना रहे हैं, जबकि 17 प्रतिशत नियोक्ताओं को रेशनलाइजेशन की उम्मीद है। यह जानकारी बुधवार को एक रिपोर्ट में प्रकाशित की गई।

बड़े उद्यम हायरिंग की गति को तेज कर रहे हैं, जबकि मध्यम और छोटे व्यवसाय अधिक सतर्कता और रिटर्न-फर्स्ट दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

एक प्रमुख स्टाफिंग फर्म, टीमलीज सर्विसेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि और जीएसटी सुधारों के कारण मजबूत विकास पथ पर अग्रसर है, इसलिए नियोक्ता अपनी कर्मचारियों की रणनीतियों को वास्तविक व्यापार परिणाम और पर्व के मांग चक्र के अनुरूप बना रहे हैं।"

जून से अगस्त तक 23 उद्योगों और 20 शहरों के 1,251 नियोक्ताओं के सर्वेक्षण पर आधारित रिपोर्ट बताती है कि रोजगार वृद्धि में अग्रणी क्षेत्रों में ई-कॉमर्स और टेक स्टार्टअप, लॉजिस्टिक्स और रिटेल शामिल हैं, जिनका अनुमानित शुद्ध रोजगार परिवर्तन (एनईसी) क्रमशः 11.3 प्रतिशत, 10.8 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत है।

ऑटोमोटिव, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) इंफ्रास्ट्रक्चर सेगमेंट भी लगातार विस्तार कर रहे हैं, जिसे पीएलआई और ईएमपीएस जैसे नीतिगत प्रोत्साहनों, स्थानीयकरण प्रयासों और मजबूत घरेलू खपत का समर्थन प्राप्त है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये उद्योग मिलकर भारत के रोजगार बाजार के लचीलेपन और अनुकूलनशीलता को दर्शाते हैं, जहाँ तकनीक, खपत और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश कार्यबल की मांग को बढ़ा रहे हैं।

टीमलीज सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, बालासुब्रमण्यम ए ने कहा, "भारत का कार्यबल एक परिवर्तनकारी दौर में प्रवेश कर रहा है, जहाँ पारंपरिक हायरिंग दृष्टिकोण टारगेटेड और स्किल-ड्रिवन रणनीतियों का स्थान ले रही हैं।"

उन्होंने कहा, "हमारी रिपोर्ट के अनुसार, 61 प्रतिशत नियोक्ता एंट्री-लेवल रोल के लिए सेलेक्टिव प्रदर्शन-आधारित दृष्टिकोण अपना रहे हैं। क्षमता-आधारित, प्रदर्शन-आधारित प्रथाओं को अपनाकर कंपनियाँ न केवल आज की व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं, बल्कि एक मजबूत और फ्यूचर-रेडी कार्यबल भी तैयार कर सकती हैं।"

रिपोर्ट में बताया गया है कि कार्यबल में बदलाव सभी जगहों पर समान रूप से दिखाई दे रहा है। बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई, तकनीकी, निर्माण और सेवा उद्यमों के केंद्रीकरण के कारण नियुक्ति के मामले में सबसे आगे बने हुए हैं।

Point of View

जहाँ नियोक्ताओं की योजनाएँ सकारात्मक संकेत देती हैं। यह दर्शाता है कि कैसे नियोक्ता अपने वर्कफोर्स में आवश्यक परिवर्तन कर रहे हैं ताकि वे भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकें।
NationPress
15/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत में वर्कफोर्स बढ़ाने की योजना में कौन से क्षेत्र शामिल हैं?
रिपोर्ट के अनुसार, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स और रिटेल जैसे क्षेत्र रोजगार वृद्धि में अग्रणी हैं।
नियोक्ता किस प्रकार की रणनीतियों को अपनाने जा रहे हैं?
नियोक्ता प्रदर्शन-आधारित और क्षमता-आधारित रणनीतियों को अपनाने का इरादा रखते हैं।