क्या भारत में थोक महंगाई दर जुलाई में दो वर्ष के निचले स्तर पर पहुंचने का अनुमान है?

Click to start listening
क्या भारत में थोक महंगाई दर जुलाई में दो वर्ष के निचले स्तर पर पहुंचने का अनुमान है?

सारांश

क्या भारत में थोक महंगाई दर जुलाई में गिरकर दो वर्ष के निचले स्तर पर पहुँचने वाली है? खाद्य और ईंधन की कीमतों में कमी इसके पीछे का मुख्य कारण है। जानिए इस रिपोर्ट में क्या-क्या शामिल है।

Key Takeaways

  • थोक महंगाई दर जुलाई में -0.45 प्रतिशत हो सकती है।
  • खाद्य और ईंधन की कीमतों में गिरावट इसका मुख्य कारण है।
  • मुख्य थोक महंगाई दर 1.50 प्रतिशत रहने की संभावना है।

नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत में थोक महंगाई दर जुलाई में कम होकर दो वर्ष के निचले स्तर पर पहुँचने की संभावना है। इसकी मुख्य वजह खाद्य और ईंधन की कीमतों में कमी आना है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई है।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जुलाई में थोक महंगाई दर सालाना आधार पर -0.45 प्रतिशत होने की संभावना है, जबकि जून में यह -0.13 प्रतिशत थी।

यदि जुलाई में थोक महंगाई का आंकड़ा इस स्तर पर आता है, तो यह अगस्त 2023 के बाद का सबसे निचला स्तर होगा।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, "जुलाई 2025 में थोक महंगाई दर -0.45 प्रतिशत के साथ दो साल के निचले स्तर पर रहने का अनुमान है।"

इसमें बताया गया है कि थोक महंगाई दर, खुदरा महंगाई के ट्रेंड को भी दर्शाती है, क्योंकि समीक्षा अवधि के दौरान खाद्य उत्पादों की कीमतों में सालाना आधार पर गिरावट देखी गई है।

मुख्य थोक महंगाई दर, जिसमें खाद्य वस्तुओं और ईंधन को शामिल नहीं किया जाता, जुलाई में 1.50 प्रतिशत रह सकती है, जो कि जून के 1.06 प्रतिशत से अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई में खाद्य महंगाई दर कम होकर -1.72 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि जून में यह -0.26 प्रतिशत थी। जुलाई में ईंधन महंगाई -4.90 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो कि जून में -4.23 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि वैश्विक बाजार में महंगाई का जोखिम बना हुआ है, लेकिन आने वाले महीनों में थोक महंगाई के रुझान को निर्धारित करने में घरेलू परिस्थितियाँ महत्वपूर्ण होंगी।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी अगस्त मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखा था। इसके साथ ही खुदरा महंगाई के अनुमान को भी घटा दिया गया था।

केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 26 के लिए अपने महंगाई के अनुमान को घटाकर 3.1 प्रतिशत कर दिया, जबकि जून में खुदरा महंगाई दर 2.1 प्रतिशत रही थी।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि महंगाई दर की घटती प्रवृत्ति भारत की आर्थिक स्थिति के लिए सकारात्मक संकेत है। हालाँकि, वैश्विक बाजारों में महंगाई का जोखिम बना हुआ है। हमें घरेलू परिस्थितियों पर नजर रखनी होगी।
NationPress
20/08/2025

Frequently Asked Questions

थोक महंगाई दर क्या होती है?
थोक महंगाई दर वस्त्र, खाद्य और अन्य वस्तुओं की थोक कीमतों में परिवर्तन को दर्शाती है।
थोक महंगाई दर में कमी का क्या असर होता है?
थोक महंगाई दर में कमी से खुदरा महंगाई में भी कमी आने की संभावना होती है, जिससे उपभोक्ताओं को फायदा होता है।