क्या पीएम मोदी के कारण ब्रिटेन-भारत के बीच विश्वास बढ़ा है, एफटीए से दोनों देशों को होगा फायदा?

सारांश
Key Takeaways
- ब्रिटेन-भारत के बीच एफटीए से व्यापार में वृद्धि होगी।
- दोनों देशों के बीच शुल्क में कमी आएगी।
- भारत को यूके का निर्यात लगभग 60 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है।
- यह समझौता पूरे यूरोप पर प्रभाव डालेगा।
- अग्रवाल के अनुसार, यह एक ऐतिहासिक पल है।
नई दिल्ली, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। वेदांता के नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटेन-भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बढ़े विश्वास का परिणाम है। इससे दोनों देशों को लाभ होगा।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए अग्रवाल ने कहा कि भारत-ब्रिटेन का एफटीए अद्वितीय है। इसे लेकर दोनों देशों ने पूरी मेहनत की है। इससे संबंधों में काफी सुधार होगा।
उन्होंने आगे कहा कि ब्रिटेन के पास ४००-५०० वर्षों का अनुभव है, और इसकी भारत को बहुत आवश्यकता है। यूके के पास न्यूक्लियर, डिफेंस और ऑटोमोबाइल में उन्नत तकनीक है। वहीं, हम टेक्सटाइल, डे-टू-डे प्रोडक्ट्स आदि का निर्यात कर सकते हैं। इस एफटीए से भारत की ओर से निर्यात होने वाले सामानों पर ९०-९५ प्रतिशत तक शुल्क कम होगा और दोनों देशों के बीच व्यापार ३० अरब डॉलर तक बढ़ सकता है।
अग्रवाल ने आगे बताया कि ब्रिटेन के साथ हुआ यह एफटीए केवल शुरुआत है, और इसका प्रभाव पूरे यूरोप पर पड़ेगा। इससे भविष्य में और अवसर खुलेंगे।
उन्होंने कहा, "यह एक ऐतिहासिक क्षण था। इस दौरान दोनों देशों के उद्योगपतियों के बीच संवाद हुआ।"
अग्रवाल ने कहा, "यह एफटीए एक अनुकूल वातावरण में हुआ है। इसकी दोनों देशों को आवश्यकता थी और इससे दोनों देशों के लिए दरवाजे खुल गए हैं।"
अग्रवाल ने बताया, "इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी का व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि यहाँ के लोग भी आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने सभी के साथ हाथ मिलाया और चाय के स्टॉल पर जाकर मसाला चाय पी।"
इस ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत, भारत ब्रिटेन के ९० प्रतिशत उत्पादों पर शुल्क में कटौती करेगा, जबकि ब्रिटेन ९९ प्रतिशत भारतीय निर्यात पर शुल्क कम करेगा, जिससे सभी क्षेत्रों में शुल्क सीमा और नियामक प्रक्रियाओं में बड़ी कमी आएगी।
मुक्त व्यापार समझौते के होने से भारतीय कृषि उत्पादों को जर्मनी जैसे प्रमुख यूरोपीय निर्यातकों के साथ टैरिफ समानता प्राप्त होगी। वस्त्र और चमड़े पर शून्य शुल्क से बांग्लादेश और कंबोडिया जैसे क्षेत्रीय समकक्षों से भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने की उम्मीद है।
अधिकारियों का अनुमान है कि इस समझौते से लंबी अवधि में भारत को यूके का निर्यात लगभग ६० प्रतिशत बढ़ जाएगा।