क्या सीबीडीटी ने सीपीसी बेंगलुरु को कर सुधार और रिफंड में तेजी लाने का अधिकार दिया?

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क्या सीबीडीटी ने सीपीसी बेंगलुरु को कर सुधार और रिफंड में तेजी लाने का अधिकार दिया?

सारांश

सीबीडीटी ने बेंगलुरु के सीपीसी को कर सुधार और रिफंड प्रक्रिया को तेज करने की शक्तियाँ सौंपी हैं। यह कदम करदाताओं की समस्याओं को शीघ्रता से हल करने में सहायक होगा। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के सभी पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • सीबीडीटी ने सीपीसी को सुधार और रिफंड में तेज़ी लाने का अधिकार दिया।
  • गलतियों को सुधारने और डिमांड नोटिस जारी करने की अनुमति।
  • करदाताओं की समस्याओं का शीघ्र समाधान।
  • प्रशासनिक प्राधिकरण का विकेंद्रीकरण।
  • डिजिटलीकरण के माध्यम से प्रभावी सेवाएं।

बेंगलुरु, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर प्रक्रिया में तेजी और सटीकता लाने के उद्देश्य से केन्द्रीयकृत प्रसंस्करण केन्द्र (सीपीसी), बेंगलुरु के आयकर आयुक्त को गलतियों को सुधारने और आयकर अधिनियम के तहत डिमांड नोटिस जारी करने का अधिकार प्रदान किया है।

नए निर्देशों के अनुसार, सीबीडीटी ने सीपीसी को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 120(1) और 120(2) के तहत दी गई शक्तियों का उपयोग करने के लिए अधिकृत किया है। इससे कम्प्यूटेशन एरर या रिफंड मिसमैच से उत्पन्न करदाता शिकायतों का तेज समाधान सुनिश्चित होगा।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, आयकर आयुक्त, सीपीसी, बेंगलुरु को अब अधिनियम की धारा 156 के तहत डिमांड नोटिस जारी करने और धारा 154 के तहत रिकॉर्ड्स में गलती को सुधारने की अधिकारिता है।

इसमें गलत रिफंड कम्प्यूटेशन को सुधारना, टीडीएस, टीसीएस या एडवांस टैक्स जैसे प्रीपेड टैक्स क्रेडिट को हटाना और डबल टैक्सेशन एग्रीमेंट के तहत ब्याज कम्प्यूटेशन पर रिफंड पर विचार न करना शामिल हैं।

यह निर्देश प्राधिकृत आयुक्त को अतिरिक्त या संयुक्त आयकर आयुक्तों को विशिष्ट सुधार या अनुवर्ती कार्य सौंपने का लिखित अधिकार देता है। इसका उद्देश्य जवाबदेही में सुधार लाना और समाधान प्रक्रिया में तेजी लाना है।

यह फ्रेमवर्क सीपीसी-बेंगलुरु को डिजिटल इंटरफेस के माध्यम से सुधार संबंधी मुद्दों को सीधे हल करने का अधिकार देता है, जिन्हें पहले सीपीसी और क्षेत्रीय मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा संभाला जाता था। यह कदम प्रशासनिक प्राधिकरण का विकेंद्रीकरण और डिजिटलीकरण करके प्रभावी करदाता सेवाएं प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यह अधिसूचना आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही तत्काल प्रभावी हो जाएगी।

पिछले महीने, सीबीडीटी ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139 की उप-धारा (1) के तहत करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न जमा करने की समय सीमा 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 10 दिसंबर करने का निर्णय लिया था।

इसके अतिरिक्त, अधिनियम की धारा 139 की उप-धारा (1) के स्पष्टीकरण 2 के खंड (क) में सूचीबद्ध करदाताओं के लिए, आयकर अधिनियम के प्रावधानों के तहत पिछले वर्ष 2024-25 (कर निर्धारण वर्ष 2025-26) के लिए ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आखिरी तारीख को 30 सितंबर, 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर, 2025 कर दिया गया है।

Point of View

यह निर्णय कर सुधार और रिफंड प्रक्रिया में तेजी लाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। इससे करदाताओं की समस्याओं का शीघ्र समाधान होगा, जो कि वित्तीय पारदर्शिता के लिए आवश्यक है।
NationPress
10/11/2025

Frequently Asked Questions

सीबीडीटी ने सीपीसी को क्या शक्तियाँ दी हैं?
सीबीडीटी ने सीपीसी, बेंगलुरु को गलतियों को सुधारने और डिमांड नोटिस जारी करने का अधिकार दिया है।
इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य उद्देश्य करदाताओं की शिकायतों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करना है।
क्या यह निर्णय तुरंत प्रभावी होगा?
हाँ, यह अधिसूचना आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही तत्काल प्रभावी हो जाएगी।