क्या एफआईआई द्वारा 1.5 लाख करोड़ रुपए की बिकवाली के बावजूद भारतीय बाजार मजबूत रहेंगे?

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क्या एफआईआई द्वारा 1.5 लाख करोड़ रुपए की बिकवाली के बावजूद भारतीय बाजार मजबूत रहेंगे?

सारांश

भारतीय शेयर बाजार ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की भारी बिकवाली के बावजूद मजबूती दिखाई है। घरेलू निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और सकारात्मक निवेश प्रवृत्तियों ने बाजार को सहारा दिया है। जानें इस स्थिति के पीछे क्या कारण हैं और भविष्य में क्या हो सकता है।

Key Takeaways

  • घरेलू निवेशकों की खरीदारी ने बाजार को मजबूती दी है।
  • विदेशी बिकवाली के बावजूद, भारतीय बाजार में स्थिरता बनी हुई है।
  • 2025 में डीआईआई का प्रवाह उच्चतम स्तर पर है।
  • भविष्य की दिशा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगी।

मुंबई, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से भारतीय शेयरों की बिकवाली जारी रहने के बावजूद, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) और खुदरा निवेशकों की खरीदारी ने शेयर बाजार को मजबूत बनाए रखा है।

2025 में एफआईआई द्वारा सेकेंडरी मार्केट से निकासी ने भारतीय बाजारों में अब तक की सबसे अधिक विदेशी बिकवाली का रिकॉर्ड बनाया है।

हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने इस वर्ष भारतीय शेयर बाजार में 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है, जो 2007 के बाद से पहले सात महीनों में नकद बाजार में इस श्रेणी द्वारा किया गया सबसे बड़ा निवेश है।

2025 के केवल सात महीनों में डीआईआई ने 2024 के कुल निवेश का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हासिल किया, जिससे बाजार को आवश्यक समर्थन मिला। 2025 में डीआईआई का प्रवाह निफ्टी के औसत बाजार पूंजीकरण के 2.2 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो 2007 के बाद से का उच्चतम स्तर है।

यह 2024 के 1.4 प्रतिशत से महत्वपूर्ण वृद्धि है और 2023 में दर्ज 0.6 प्रतिशत से भी काफी अधिक है।

भारतीय खुदरा निवेशक भी बेफिक्र हैं। उन्होंने जुलाई में इक्विटी म्यूचुअल फंड में 427 अरब रुपए (4.9 अरब डॉलर) का भारी निवेश किया।

जुलाई के दौरान इक्विटी म्यूचुअल फंड में सबसे अधिक निवेश देखा गया, जबकि विदेशी फंडों ने उसी महीने 3 अरब डॉलर निकाले।

एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने इस साल अब तक सेकेंडरी मार्केट में 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की शुद्ध बिकवाली की है, जो पिछले सभी वार्षिक रिकॉर्डों को पार कर गया है।

विश्लेषकों का सुझाव है कि धीमी कॉर्पोरेट आय, अनाकर्षक मूल्यांकन, बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं और विदेशी बाजारों में तुलनात्मक रूप से कम मूल्यांकन इस बिकवाली को बढ़ावा दे रहे हैं।

अमेरिका, चीन और यूरोप के बाजार निकट भविष्य में सस्ते मूल्यांकन और तुलनात्मक रूप से ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं।

भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, मौजूदा भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं ने पोर्टफोलियो प्रबंधकों को "बाय एंड होल्ड" की रणनीति से हटकर रणनीतिक परिसंपत्ति आवंटन की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है।

अमेरिका के साथ व्यापार समझौतों को लेकर अनिश्चितता और अमेरिका-चीन वार्ता के संभावित विस्तार से विदेशी संस्थागत निवेश प्रवाह में गिरावट आ रही है।

भारतीय निवेशक 15 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि कोई भी सकारात्मक परिणाम टैरिफ संबंधी अनिश्चितताओं को कम कर सकता है।

Point of View

मैं मानता हूं कि भारतीय बाजार की मजबूती हमें बताती है कि जब तक घरेलू निवेशक सक्रिय हैं, तब तक हमें विदेशी बिकवाली से डरने की आवश्यकता नहीं है। यह हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिरता और निवेशकों की भावना को दर्शाता है।
NationPress
20/08/2025

Frequently Asked Questions

एफआईआई की बिकवाली का बाजार पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
एफआईआई की बिकवाली से बाजार में अस्थिरता आ सकती है, लेकिन घरेलू निवेशकों की खरीदारी इसे संतुलित कर रही है।
डीआईआई का निवेश कितना महत्वपूर्ण है?
डीआईआई का निवेश भारतीय बाजार को स्थिरता प्रदान करता है और विदेशी बिकवाली के प्रभाव को कम करता है।
क्या भारतीय खुदरा निवेशक सुरक्षित हैं?
हाँ, भारतीय खुदरा निवेशक बाजार में अपनी भागीदारी बढ़ा रहे हैं, जिससे उनकी सुरक्षा बढ़ रही है।
भविष्य में बाजार की स्थिति कैसी हो सकती है?
भविष्य में बाजार की स्थिति वैश्विक आर्थिक कारकों और घरेलू निवेश प्रवृत्तियों पर निर्भर करेगी।
क्या भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ निवेश को प्रभावित कर रही हैं?
हाँ, भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ निवेशकों की रणनीतियों को प्रभावित कर रही हैं।