क्या ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम 2025 की तीसरी तिमाही में 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया?

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क्या ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम 2025 की तीसरी तिमाही में 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया?

सारांश

ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम ने 2025 की तीसरी तिमाही में 1.5 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा छू लिया है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि धीमी डील एक्टिविटी के बावजूद, भारत निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है। जानिए इस विषय में और क्या खास है।

Key Takeaways

  • ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम 2025 की तीसरी तिमाही में 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा है।
  • भारत वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है।
  • डील की संख्या में कमी आई है, जो अनिश्चितता का संकेत है।
  • निवेशकों का सेंटीमेंट सकारात्मक बना हुआ है।
  • ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्में भारत में मौजूदगी बढ़ा रही हैं।

नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम 2025 की तीसरी तिमाही के अंत तक 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। डील एक्टिविटी में धीमी गति के बावजूद ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी निवेश इस आंकड़े तक पहुंचा है। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में साझा की गई है।

ग्लोबल कंसल्टेंसी केपीएमजी की रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह गति चौथी तिमाही में भी बनी रहती है, तो ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम चार वर्षों के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 की पहली तीन तिमाहियों में 15,083 डील घटकर 2025 की पहली तीन तिमाहियों में 13,574 डील रह गईं।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स और बढ़ती घरेलू खपत के कारण वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है।

2025 की तीसरी तिमाही में ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी निवेश 537.1 बिलियन डॉलर रहा, जबकि 2024 की समान अवधि में यह 512 बिलियन डॉलर था। हालांकि, एक वर्ष की अवधि में डील की संख्या 5032 से घटकर 4062 रह गई।

इसके अलावा, 2025 की तीसरी तिमाही में भारत में प्राइवेट इक्विटी निवेश 14.9 बिलियन डॉलर रहा, जो कि 2024 की समान अवधि के 26.3 बिलियन डॉलर से काफी कम है। डील की संख्या भी 289 से घटकर 217 रह गई। इस गिरावट का मुख्य कारण भू-राजनैतिक और व्यापार से जुड़ी अनिश्चितता है। इसका एक कारण अमेरिकी टैरिफ भी रहा।

केपीएमजी का कहना है कि निवेशकों का सेंटीमेंट अभी भी सकारात्मक बना हुआ है। इसी के साथ कई ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्में भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं।

टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर से लेकर फाइनेंशियल सर्विसेज और स्पेशलाइज्ड मैन्युफैक्चरिंग तक मैच्योर होता इकोसिस्टम भारत-केंद्रित फंड्स के बढ़ते आकार और पूंजी आकर्षित करने वाले सेक्टर्स की बढ़ती रेंज में दिखता है।

Point of View

हमें यह देखकर गर्व होता है कि भारत का आर्थिक परिदृश्य वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक बना हुआ है। हालांकि, विश्व स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताएं हैं, लेकिन भारत के मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स इस स्थिति में हमें एक नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं।
NationPress
28/10/2025

Frequently Asked Questions

ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम क्या है?
ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम से तात्पर्य है कि वैश्विक स्तर पर प्राइवेट इक्विटी में किए गए निवेश का कुल मूल्य।
भारत में प्राइवेट इक्विटी निवेश क्यों बढ़ रहा है?
भारत में प्राइवेट इक्विटी निवेश बढ़ रहा है क्योंकि यहाँ के मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स मजबूत हैं और घरेलू खपत बढ़ रही है।
डील एक्टिविटी में कमी का कारण क्या है?
डील एक्टिविटी में कमी का मुख्य कारण भू-राजनैतिक और व्यापार से जुड़ी अनिश्चितता है।