क्या हैप्पी बर्थडे पवन गोयनका: अमेरिका में नौकरी छोड़कर भारत लौटकर स्वदेशी कंपनी को बनाया ग्लोबल?

सारांश
Key Takeaways
- पवन गोयनका का जन्म 23 सितंबर 1954 को हुआ।
- उन्हें महिंद्रा में महत्वपूर्ण भूमिकाएं दी गईं।
- उन्होंने इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में एंट्री की।
- गोयनका 2021 में महिंद्रा से रिटायर हुए।
- उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
नई दिल्ली, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्तित्व पवन कुमार गोयनका मंगलवार को 71 वर्ष के हो जाएंगे। उनका जन्म 23 सितंबर 1954 को मध्य प्रदेश के हरपालपुर में हुआ।
गोयनका की प्रारंभिक शिक्षा में गहरी रुचि थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकाता के श्री जैन विद्यालय से प्राप्त की और इसके बाद आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद, वे अमेरिका चले गए और वहां की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की।
अमेरिका में अध्ययन के बाद, गोयनका ने डेट्रायट स्थित जनरल मोटर्स के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर में 1979 से 1993 तक कार्य किया, जहां उन्होंने ऑटोमोबाइल में अनुसंधान किया।
इसके बाद, गोयनका भारत लौटे और महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) में रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) के जनरल मैनेजर के रूप में शामिल हुए।
महिंद्रा ने गोयनका को कंपनी द्वारा विकसित की जा रही नई एसयूवी के प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी, जो कि स्कॉर्पियो थी। इस एसयूवी ने बाजार में क्रांति ला दी और यह प्रोजेक्ट कंपनी के लिए एक बड़ी सफलता साबित हुआ, जिससे कंपनी ने वैश्विक पहचान बनाई।
महिंद्रा ने गोयनका को कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं दीं। 2003 में उन्हें ऑटोमोटिव डिविजन का सीओओ, 2005 में प्रेसिडेंट और 2010 में ऑटोमोटिव एवं फार्म इक्विपमेंट डिविजन का प्रेसिडेंट बनाया गया। 2013 में उन्हें कंपनी का एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नियुक्त किया गया और 2016 में वे एमएंडएम के एमडी बने।
अपने कार्यकाल के दौरान, गोयनका ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जैसे कि इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में महिंद्रा की एंट्री।
महिंद्रा से 2021 में रिटायर होने के बाद, उन्हें इन-स्पेस e (इंडियन नेशनल स्पेस प्रोमोशन एंड अथॉराइजेशन सेंटर) का चेयरमैन नियुक्त किया गया। यहां वह भारत के स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों का योगदान बढ़ाने का काम कर रहे हैं। 2025 में उन्हें भारत सरकार से पद्म श्री दिया गया, जो भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है।