क्या 'होमबाउंड' अभिनेता विशाल जेठवा ने अंग्रेजी भाषा के संघर्षों पर अपने अनुभव साझा किए?

सारांश
Key Takeaways
- अंग्रेजी भाषा के संघर्ष ने उनके आत्मसम्मान को प्रभावित किया।
- फिल्म 'होमबाउंड' में दोस्ती और संघर्ष की कहानी है।
- नीरज घायवान द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे को छूती है।
मुंबई, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेता विशाल जेठवा की फ़िल्म 'होमबाउंड' को भारत की ओर से ऑस्कर 2026 के लिए नामांकित किया गया है। इसे जल्द ही भारत में प्रदर्शित किया जाएगा। इसके प्रचार के दौरान, विशाल ने अपनी अंग्रेजी भाषा से संबंधित संघर्षों और अनुभवों को साझा किया।
विशाल जेठवा ने बताया कि किस प्रकार इस भाषा में सहजता न होने के कारण वह कई वर्षों तक शर्मिंदगी महसूस करते रहे।
विशाल ने कहा, "कुछ लोग अपनी पहचान को स्वीकार नहीं कर पाते। इस फ़िल्म के माध्यम से, मैंने खुद को बेहतर तरीके से स्वीकार किया है। यह बदलाव मेरे अंदर नीरज घायवान सर के कारण आया है। भारत में कई लोग अंग्रेजी में धाराप्रवाह न होने के कारण कठिनाइयों का सामना करते हैं और जब वे ऐसी परिस्थितियों में आते हैं, जहाँ उन्हें बिना रुके अंग्रेजी बोलनी होती है, तो उन्हें उपेक्षित महसूस होता है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम उस मौके पर डर जाते हैं। यदि आप अंग्रेजी बोलते हैं, तो आपको एक विशेष वर्ग से जोड़ा जाता है, और यदि आप हिंदी बोलते हैं, तो आपको एक अलग नजरिये से देखा जाता है। हो सकता है कि आप उतने ही प्रतिभाशाली हों, लेकिन आपकी भाषा के कारण आपके साथ भिन्न व्यवहार किया जाता है। यह डर जो मेरे भीतर था, मैं कभी नहीं समझ पाया कि यह डर कहाँ से आ रहा था।"
विशाल ने कहा, "तो जब मैंने खुद को स्वीकार किया कि 'हाँ, मैं ऐसा नहीं हूँ, मेरी परवरिश ऐसी नहीं है, मेरे माता-पिता मुझे अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ा पाए, लेकिन जो उन्होंने किया, वो यही है,' और इसी कारण मैं आज यहां हूँ।"
फिल्म की बात करें तो प्रसिद्ध फिल्म निर्माता नीरज घायवान इस फ़िल्म के निर्देशक हैं। यह फ़िल्म उत्तर भारत के एक गाँव में रहने वाले दो दोस्तों की कहानी है, जो पुलिस की नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जैसे-जैसे वे अपने सपने के करीब पहुँचते हैं, हताशा और व्यक्तिगत संघर्ष उनकी दोस्ती को चुनौती देने लगते हैं। यह फ़िल्म 26 सितंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली है।