क्या सिंहावलोकन 2025: मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाओं ने इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को दी रफ्तार, 2026 में भी नए रिकॉर्ड बनाने की तैयारी?

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क्या सिंहावलोकन 2025: मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाओं ने इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को दी रफ्तार, 2026 में भी नए रिकॉर्ड बनाने की तैयारी?

सारांश

भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। 2025 में कई रिकॉर्ड बने हैं, और 2026 में मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाओं से नई सफलताओं की उम्मीद है। जानिए इस क्षेत्र की बढ़ती ताकत और भविष्य की संभावनाएं।

Key Takeaways

  • भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 2024-25 में 11.3 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच सकता है।
  • मोबाइल फोन निर्माण में 300 यूनिट का आंकड़ा पार किया गया है।
  • ईएमसी 2.0 के तहत 1.46 लाख करोड़ रुपए का निवेश संभावित है।
  • भारत अब निर्यातक देश बन चुका है।
  • सेमीकंडक्टर क्षेत्र में 1.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश हो रहा है।

नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्षेत्र अब केवल योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि धरातल पर इसके परिणाम स्पष्ट दिख रहे हैं। वर्ष 2025 में इस क्षेत्र ने कई नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं और अब 2026 में 'मेक इन इंडिया' और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजनाओं के कारण और भी बड़ी सफलताओं की उम्मीद है। इससे भारत तेजी से विश्व में एक विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण देश बनने की दिशा में अग्रसर है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में तेज वृद्धि हुई है, जो वित्तीय वर्ष 2014-15 में 1.9 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2024-25 में लगभग 11.3 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसी तरह, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात भी 38,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 3.27 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।

मोबाइल फोन निर्माण में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 में देश में केवल 2 मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थीं, जो अब बढ़कर लगभग 300 यूनिट हो गई हैं।

इस दौरान मोबाइल फोन का उत्पादन 18,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। इसी बीच, मोबाइल फोन का निर्यात भी 1,500 करोड़ रुपए से बढ़कर लगभग 2 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

इसके अतिरिक्त, देश के 10 राज्यों में स्थापित किए गए इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी 2.0) से लगभग 1.46 लाख करोड़ रुपए का निवेश आने की संभावना है, जिससे लगभग 1.80 लाख लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है।

पिछले 10 वर्षों में भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल फोन के क्षेत्र में, काफी मजबूत हुआ है। अब भारत कई क्षेत्रों में आयात करने के बजाय निर्यात करने वाला देश बन चुका है।

इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा कि 2025 का साल मेक इन इंडिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। पीएलआई योजना के कारण भारत अब एक मजबूत और विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण केंद्र बन चुका है। 2026 में नीतिगत निरंतरता, तेज मंजूरी और पुर्जों के निर्माण पर ध्यान देना आवश्यक होगा।

वहीं, इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) और एसईएमई के अध्यक्ष अशोक चंदक ने कहा कि भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स वृद्धि अब स्थायी बन चुकी है। सरकार, उद्योग और अन्य संस्थाएं मिलकर मजबूत, टिकाऊ और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी मूल्य श्रृंखला बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि आने वाले समय में नई तकनीक, रिसर्च, स्किल डेवलपमेंट और देश में निर्मित सेमीकंडक्टर का अधिक उपयोग भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को और सशक्त बनाएगा।

भारत का सेमीकंडक्टर क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार की सेमीकॉन इंडिया योजना के तहत अब तक 10 प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं, जिनमें कुल 1.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा। इनमें सेमीकंडक्टर फैब, एडवांस पैकेजिंग और मेमोरी चिप से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं।

सरकार ने मोबाइल फोन और उसके कुछ पुर्जों के निर्माण के लिए पीएलआई योजना भी शुरू की है, जिससे अक्टूबर 2025 तक 14,065 करोड़ रुपए का निवेश आ चुका है। इसके अलावा, लैपटॉप, टैबलेट और सर्वर जैसे आईटी हार्डवेयर के निर्माण के लिए शुरू की गई पीएलआई योजना से 846 करोड़ रुपए का निवेश मिला है।

इस प्रकार, भारत अब इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण में तेजी से प्रगति कर रहा है। मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाओं की सहायता से आने वाला वर्ष 2026 भारत के लिए नए रिकॉर्ड और नए अवसर लेकर आ सकता है।

Point of View

मैं यह कह सकता हूँ कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्षेत्र अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहा है। मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाएँ इस क्षेत्र को मजबूती प्रदान कर रही हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

मेक इन इंडिया योजना का उद्देश्य क्या है?
मेक इन इंडिया योजना का उद्देश्य भारत में निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।
पीएलआई योजनाओं का लाभ किसे मिलता है?
पीएलआई योजनाएँ उद्योगों को वित्तीय प्रोत्साहन देती हैं, जिससे वे उत्पादन में वृद्धि कर सकें।
भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में वृद्धि का क्या कारण है?
भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन बढ़ने का मुख्य कारण सरकार की नीतियाँ, निवेश और तकनीकी विकास हैं।
क्या भारत में मोबाइल फोन निर्माण बढ़ रहा है?
हाँ, भारत में मोबाइल फोन निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है, जो देश को आत्मनिर्भर बना रही है।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत की स्थिति क्या है?
भारत का सेमीकंडक्टर क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और इसमें कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ चल रही हैं।
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