क्या ईडी ने 1,654 करोड़ रुपए के कथित एफडीआई उल्लंघन के लिए मिंत्रा के खिलाफ फेमा का केस दर्ज किया?

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क्या ईडी ने 1,654 करोड़ रुपए के कथित एफडीआई उल्लंघन के लिए मिंत्रा के खिलाफ फेमा का केस दर्ज किया?

सारांश

प्रवर्तन निदेशालय ने मिंत्रा डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ फेमा के उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और ईडी की कार्रवाई के पीछे के कारण। क्या मिंत्रा के खिलाफ यह मामला गंभीर है?

Key Takeaways

  • ईडी ने मिंत्रा के खिलाफ फेमा का मामला दर्ज किया है।
  • कंपनी पर 1,654 करोड़ रुपए का अवैध विदेशी निवेश का आरोप है।
  • यह कार्रवाई विदेशी निवेश नियमों के उल्लंघन के कारण की गई है।
  • मिंत्रा ने थोक व्यापार का दावा किया जबकि खुदरा बिक्री की गई।
  • ईडी की जांच जारी है।

नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को जानकारी दी कि उसने मिंत्रा डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड, उसकी सहयोगी कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 के अंतर्गत कथित उल्लंघनों के लिए एक शिकायत दर्ज की है।

यह कार्रवाई ईडी के बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा की गई है, जिसमें कंपनी पर 1,654.35 करोड़ रुपए के अवैध विदेशी निवेश का आरोप लगाया गया है।

ईडी के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सरकारी एजेंसी को विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई थी कि मिंत्रा और उसकी संबंधित कंपनियां कथित तौर पर मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग (एमबीआरटी) में संलग्न थीं, जबकि वे थोक कैश एंड कैरी व्यवसाय का दावा कर रही थीं।

इस जानकारी के बाद, ईडी ने त्वरित जांच शुरू की।

ईडी ने बताया कि यह व्यवस्था भारत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का सीधा उल्लंघन है।

जांच में यह सामने आया कि मिंत्रा डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड ने खुद को थोक व्यापार में शामिल बताकर 1,654 करोड़ रुपए से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया था।

हालांकि, एजेंसी ने पाया कि कंपनी ने अपना अधिकांश सामान एक अन्य कंपनी (वेक्टर ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड) को बेचा, जिसने फिर उन सामानों को सीधे खुदरा ग्राहकों को बेचा।

ईडी का मानना है कि मिंत्रा डिजाइन्स और वेक्टर ई-कॉमर्स, दोनों एक ही समूह की कंपनियां हैं।

यह संरचना कथित तौर पर प्रत्यक्ष खुदरा बिक्री को बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के रूप में प्रस्तुत करके और फिर वेक्टर के माध्यम से खुदरा (बी2सी) बिक्री करके एफडीआई नियमों को दरकिनार करने के लिए बनाई गई थी।

ईडी ने आगे कहा कि मिंत्रा ने अप्रैल और अक्टूबर 2010 में लागू किए गए एफडीआई नियमों का उल्लंघन किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि समूह की कंपनियों को केवल 25 प्रतिशत तक थोक बिक्री की अनुमति है।

हालांकि, मिंत्रा ने अपनी 100 प्रतिशत बिक्री वेक्टर को की, जिसे ईडी कानून का स्पष्ट उल्लंघन मानता है।

इन निष्कर्षों के आधार पर, प्रवर्तन निदेशालय ने फेमा, 1999 की धारा 16(3) के तहत शिकायत दर्ज की है।

एजेंसी का आरोप है कि 1,654.35 करोड़ रुपए के लिए मिंत्रा और उसकी संबंधित कंपनियों ने फेमा की धारा 6(3)(बी) और कंसोलिडेटेड एफडीआई नीति दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है।

Point of View

यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी कंपनियां नियमों का पालन करें।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

मिंत्रा पर लगाए गए आरोप क्या हैं?
मिंत्रा पर फेमा के तहत 1,654 करोड़ रुपए के अवैध विदेशी निवेश का आरोप है।
ईडी की कार्रवाई का क्या कारण है?
ईडी को विश्वसनीय जानकारी मिली थी कि मिंत्रा और उसकी कंपनियां मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग में शामिल थीं।
क्या मिंत्रा के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की गई है?
हाँ, ईडी ने फेमा की धारा 16(3) के तहत शिकायत दर्ज की है।