क्या जीएसटी सुधार कर्नाटक की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है?
सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी सुधार ने कर्नाटक की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
- कॉफी और डेयरी उत्पादों पर टैक्स में कमी से खुदरा कीमतों में गिरावट की संभावना।
- छोटे उद्योगों को नई राहत मिली है।
- ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा मिला है।
- उद्यमियों को नई संभावनाएं मिली हैं।
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी की गई जानकारी के अनुसार, कर्नाटक की अर्थव्यवस्था में जीएसटी सुधार ने कॉफी और काजू के किसानों से लेकर औद्योगिक और तकनीकी विकास को आगे बढ़ाने वाले उद्यमियों तक सभी को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान किया है।
राज्य की कृषि और ग्रामीण आजीविका के संदर्भ में कॉफी और डेयरी क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किए गए हैं। कर्नाटक को भारत की कॉफी अर्थव्यवस्था का केंद्र माना जाता है। देश के कुल उत्पादन में इस राज्य का योगदान लगभग 71 प्रतिशत है। हाल ही में जीएसटी सुधार के तहत कॉफी एक्सट्रैक्ट, एसेंस और इंस्टेंट कॉफी पर टैक्स दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे बड़ा राजकोषीय प्रोत्साहन मिला है। इससे खुदरा कीमतों में 11-12 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है। इन सुधारों से घरेलू मांग में वृद्धि और सहकारी समितियों के लाभ में सुधार की आशा है।
इसी प्रकार, कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के नेतृत्व में कर्नाटक का डेयरी क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है, जो 26 लाख से अधिक दुग्ध उत्पादकों को सहायता प्रदान करता है। यह क्षेत्र ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लगभग 22 लाख लोगों को आजीविका प्रदान कर रहा है।
हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों के अंतर्गत यूएचटी दूध और पनीर पर जीएसटी दर समाप्त कर दी गई है। इसके अलावा, घी और मक्खन पर जीएसटी दर को घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। इस कदम से खुदरा कीमतों में 5-7 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। साथ ही, मूल्यवर्धित उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
राज्य के तटीय और कुटीर उद्योगों में सिले-सिलाए वस्त्र (आरएमजी) और कपड़ा उद्योग रोजगार के सबसे बड़े सृजनकर्ता क्षेत्रों में से एक है। यह उद्योग लगभग छह लाख लोगों को आजीविका प्रदान करता है। नए जीएसटी ढांचे के साथ, 5 प्रतिशत के टैक्स दर को 1000 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए प्रति पीस कर दिया गया है, जिससे एमएसएमई परिधान इकाइयों को बड़ी राहत मिली है। ये सुधार उत्पाद श्रृंखला पर कर के बोझ को कम करते हैं, मूल्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ाते हैं और घरेलू निर्माताओं के लिए कार्यशील पूंजी में वृद्धि करते हैं।
इसी प्रकार, ग्रेनाइट ब्लॉकों पर जीएसटी दर को घटाकर 5 प्रतिशत करने से प्रसंस्करण इकाइयों की इनपुट लागत 6-7 प्रतिशत कम होगी, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमों के लाभ में सुधार होगा।
सीमेंट पर जीएसटी दर को 18 प्रतिशत करने से खुदरा कीमतों में 7 से 8 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है।
राज्य की हस्तशिल्प और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था से संबंधित जीएसटी सुधार के तहत हथकरघा साड़ियों पर टैक्स दर को 5 प्रतिशत करने से कीमतों में 6-7 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है, जिससे पारंपरिक कारीगर समुदाय की प्रतिस्पर्धा क्षमता में सुधार होगा।
कुल मिलाकर, हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों को कर्नाटक की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है, जिससे कृषि, उत्पादन और सेवाओं में बड़ी राहत प्रदान की गई है।