क्या केंद्र सरकार ने खदानों में कोयले की खोज के लिए निजी कंपनियों को प्रवेश दिया?
सारांश
Key Takeaways
- निजी कंपनियों को कोयला खदानों में प्रवेश दिया गया है।
- इससे उत्पादन में तेजी आएगी।
- खान एवं खनिज अधिनियम के तहत 18 नई एजेंसियां जुड़ेंगी।
- खान संचालन के लिए भूगर्भीय रिपोर्ट का अन्वेषण आवश्यक है।
- सरकार का लक्ष्य ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना है।
नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने अब खदानों में कोयले की खोज करने के लिए निजी कंपनियों को प्रवेश दिया है। इस कदम का उद्देश्य कोयला खदानों के संचालन में तेजी लाना और उत्पादन को बढ़ावा देना है। यह जानकारी सरकार द्वारा शुक्रवार को साझा की गई।
कोयला मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 4 की उप-धारा (1) के तहत दी गई शक्तियों का उपयोग करते हुए, भारतीय गुणवत्ता परिषद-राष्ट्रीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रत्यायन बोर्ड द्वारा विधिवत मान्यता प्राप्त निजी संस्थाओं को 26 नवंबर 2025 को मान्यता प्राप्त पूर्वेक्षण एजेंसियों के रूप में अधिसूचित किया गया है।"
सरकार ने स्पष्ट किया कि इससे कोयला और लिग्नाइट की खोज के लिए 18 और एजेंसियां जुड़ जाएंगी, जिससे कोयला ब्लॉक आवंटियों को इन एजेंसियों को नियुक्त करने के लिए अधिक विकल्प प्राप्त होंगे। कोयला खदान के संचालन के लिए भूगर्भीय रिपोर्ट का अन्वेषण करना आवश्यक है। इन एजेंसियों के जुड़ने से लगभग 6 महीने का समय बचेगा, जो पहले एजेंसी द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने में लगता था।
सरकार की योजना है कि संभावित एजेंसियों के समूह का विस्तार करके, निजी क्षेत्र के संसाधनों का उपयोग किया जाए और अन्वेषण में दक्षता, प्रतिस्पर्धात्मकता और नवाचार को बढ़ावा दिया जाए।
कोयला मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से अन्वेषण की गति में काफी तेजी आएगी और खनन को जल्दी बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे संसाधन विकास में तेजी आएगी और देश के लिए कोयला और लिग्नाइट की उपलब्धता बढ़ेगी। इससे देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में भी सहायता मिलेगी।
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "भारत सरकार एक पारदर्शी, कुशल और भविष्य के लिए तैयार खनिज अन्वेषण ढांचे को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है जो राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और आर्थिक विकास को गति देगा।"