क्या भारत और नेपाल ने रेल मार्ग से व्यापार बढ़ाने के लिए समझौता किया?

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क्या भारत और नेपाल ने रेल मार्ग से व्यापार बढ़ाने के लिए समझौता किया?

सारांश

भारत और नेपाल ने व्यापार बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण रेल समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता न केवल माल ढुलाई को सुविधाजनक करेगा बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को भी मजबूत करेगा। जानें इस समझौते के प्रभाव और महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • जोगबनी और विराटनगर के बीच माल ढुलाई को सुगम बनाना।
  • क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइनों का विकास।
  • भारत और नेपाल के व्यापारिक संबंधों में वृद्धि।

नई दिल्ली, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और नेपाल ने गुरुवार को रेल-आधारित माल ढुलाई को बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार में बढ़ोतरी होगी।

यह समझौता जोगबनी (भारत) और विराटनगर (नेपाल) के बीच रेलवे माल ढुलाई को सुगम बनाएगा, जिसमें विस्तारित परिभाषा के तहत बल्क कार्गो भी शामिल है। यह उदारीकरण प्रमुख ट्रांजिट कॉरिडोर - कोलकाता-जोगबनी, कोलकाता-नौतनवा (सुनौली) और विशाखापत्तनम-नौतनवा (सुनौली) तक विस्तारित है, जिससे दोनों देशों के बीच मल्टी-मॉडल ट्रेड कनेक्टिविटी और तीसरे देशों के साथ नेपाल के व्यापार को मजबूती मिलेगी।

भारत और नेपाल ने ट्रांजिट समझौते के प्रोटोकॉल में संशोधन करते हुए एक विनिमय पत्र का आदान-प्रदान किया। इस अवसर पर भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उनके नेपाली समकक्ष अनिल कुमार सिन्हा भी मौजूद थे।

यह विनिमय पत्र कंटेनरयुक्त और थोक माल, दोनों के लिए जोगबनी-विराटनगर रेल संपर्क के साथ सीधी रेल कनेक्टिविटी को सक्षम बनाता है, जिससे कोलकाता और विशाखापत्तनम बंदरगाहों से नेपाल के विराटनगर के पास मोरंग जिले में स्थित नेपाल सीमा शुल्क यार्ड कार्गो स्टेशन तक परिवहन सुगम हो जाता है। भारत सरकार की अनुदान सहायता से निर्मित इस रेल संपर्क का उद्घाटन १ जून २०२३ को भारत और नेपाल के प्रधानमंत्रियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।

बैठक में एकीकृत चेक पोस्ट और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास सहित सीमा पार संपर्क और व्यापार सुविधा को बढ़ाने के लिए चल रही द्विपक्षीय पहलों का भी स्वागत किया गया।

भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार और निवेश भागीदार बना हुआ है, जो उसके बाहरी व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन नए उपायों से दोनों देशों और उसके बाहर आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को और मजबूत करने की उम्मीद है।

यह समझौता २९ अक्टूबर को भारत-नेपाल समझौतों पर हस्ताक्षर के तुरंत बाद हुआ है, जिसके तहत दोनों देशों के बीच उच्च क्षमता वाली क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइनों के विकास के लिए दो ज्वाइंट वेंचर संस्थाएं शुरू करने का फैसला लिया गया है।

भारत के सरकारी कंपनी पावरग्रिड और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के बीच संयुक्त उद्यम और शेयरधारकों के समझौतों पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल और नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्री कुलमन घीसिंग की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।

इन समझौतों में क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए दो ज्वाइंट वेंचर - एक भारत में और एक नेपाल में - के गठन का प्रावधान है।

Point of View

NationPress
13/11/2025

Frequently Asked Questions

भारत-नेपाल रेल समझौता कब हुआ?
यह समझौता १३ नवंबर २०२३ को हुआ।
इस समझौते से क्या लाभ होगा?
इससे माल ढुलाई में सुगमता आएगी और दोनों देशों के बीच व्यापार में वृद्धि होगी।
इस समझौते पर किसने हस्ताक्षर किए?
भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नेपाली समकक्ष अनिल कुमार सिन्हा ने हस्ताक्षर किए।