क्या भारतीय कंपनियाँ ग्लोबल पेट्रोकेमिकल सेक्टर में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं?

सारांश
Key Takeaways
- भारत पेट्रोकेमिकल सेक्टर में एक क्षेत्रीय कंसोलिडेटर बन सकता है।
- बढ़ती घरेलू मांग और विनिर्माण क्षमता की आवश्यकता है।
- कंपनियों को मर्जर और एक्विजिशन में सक्रिय होना चाहिए।
- लाभप्रदता में गिरावट को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने की आवश्यकता है।
- ग्लोबल प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए रणनीति में बदलाव जरूरी है।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत, अपनी बढ़ती घरेलू मांग और विनिर्माण क्षमता के चलते, पेट्रोकेमिकल सेक्टर में एक क्षेत्रीय कंसोलिडेटर के रूप में उभरने की मजबूत स्थिति में है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सामने आई है।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है 'प्रीपेयरिंग फॉर द नेक्स्ट वेव ऑफ पेट्रोकेमिकल कंसोलिडेशन', ने कहा है कि वैश्विक पेट्रोकेमिकल सेक्टर में लंबे समय से कम मार्जिन, अत्यधिक क्षमता और क्षेत्रीय विकास पैटर्न में बदलाव के कारण महत्वपूर्ण कंसोलिडेशन की आवश्यकता महसूस हो रही है।
यह रिपोर्ट भारतीय पेट्रोकेमिकल कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो का पुनर्मूल्यांकन करने, विभिन्न बाजार परिदृश्यों का अनुमान लगाने और लाभ की अगली लहर का फायदा उठाने के लिए तुरंत कदम उठाने का आग्रह करती है।
रिपोर्ट में वर्तमान में क्षेत्र की लाभप्रदता में भारी गिरावट को दर्शाया गया है, जिसमें औसत आरओसीई 2019 में 8 प्रतिशत से गिरकर 2024 में लगभग 4 प्रतिशत हो गया है।
यह दर्शाता है कि कई क्षेत्रों में क्षमता वृद्धि मांग वृद्धि से आगे निकल रही है। ये परिस्थितियाँ रैशनलाइजेशन और कंसोलिडेशन के प्रयासों को तेज कर रही हैं, क्योंकि कंपनियाँ लगातार चुनौतीपूर्ण होते माहौल में प्रतिस्पर्धी बनी रहना चाहती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "इस रणनीतिक अवसर पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारतीय पेट्रोकेमिकल कंपनियों को अब जैविक विकास से आगे बढ़कर लक्षित मर्जर और एक्विजिशन, वर्टिकल इंटीग्रेशन और टेक्नोलॉजिकल तथा सस्टेनेबिलिटी क्षमताओं में निवेश पर ध्यान केंद्रित करना होगा।"
आने वाले अवसरों पर टिप्पणी करते हुए, बीसीजी के प्रबंध निदेशक कौस्तुभ वर्मा ने कहा, "ग्लोबल पेट्रोकेमिकल परिदृश्य कंसोलिडेशन के एक नए चरण की ओर बढ़ रहा है और भारत एक रणनीतिक मोड़ पर खड़ा है। मजबूत घरेलू मांग और बढ़ते विनिर्माण आधार के साथ, भारतीय कंपनियों के पास लक्षित मर्जर और एक्विजिशन का लाभ उठाते हुए, महत्वपूर्ण फीडस्टॉक तक पहुंच सुनिश्चित करने और अपनी टेक्नोलॉजी तथा सस्टेनेबिलिटी की बढ़त को मजबूत कर क्षेत्रीय नेतृत्व स्थापित करने का अवसर है।"
उन्होंने कहा, "प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए, कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो का सक्रिय रूप से आकलन करना चाहिए और विभिन्न बाजार परिदृश्यों के लिए तैयार रहना चाहिए। जो कंपनियाँ अभी निर्णायक रूप से कार्य करेंगी, वे दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करने की बेहतर स्थिति में होंगी।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्जिन पर दबाव बना रहेगा क्योंकि धीमी मांग वृद्धि और बढ़ती उत्पादन क्षमता के कारण वैश्विक पेट्रोकेमिकल कंपनियों को कम मार्जिन और परिचालन दक्षता की आवश्यकता का सामना करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, अगले कुछ वर्षों में बोर्डरूम चर्चाओं में कैपेसिटी रैशनलाइजेशन और स्ट्रेटेजिक मर्जर और एक्विजिशन पर ही चर्चा होने की संभावना है।