क्या अन्य देशों में भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ने से अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव कम होगा?

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क्या अन्य देशों में भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ने से अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव कम होगा?

सारांश

भारत ने हाल के वर्षों में अपने निर्यात को विविधता प्रदान की है, जिससे अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव कम हो गया है। जानिए भारत के निर्यात में उभरते बाजारों की भूमिका और इसके आर्थिक प्रभाव के बारे में।

Key Takeaways

  • भारत ने अपने निर्यात को विविधता दी है।
  • अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव कम हुआ है।
  • भारत का निर्यात 162 अरब डॉलर तक पहुंचा।
  • उभरते बाजारों में असाधारण वृद्धि।

नई दिल्ली, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में मध्य पूर्व, यूरोप, लैटिन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने निर्यात को विविधता देने में सफलता प्राप्त की है। इससे देश को अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने में मदद मिली है।

यूरोपियन टाइम्स के एक लेख के अनुसार, हालांकि अमेरिका सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बना हुआ है, पिछले तीन वित्तीय वर्षों में अमेरिका को भेजी जाने वाली अधिकांश प्रमुख वस्तुएं विश्व के 15 से अधिक अन्य महत्वपूर्ण बाजारों में भी निर्यात की गई हैं।

लेख में आगे कहा गया है, "भारत की निर्यात कहानी एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। भले ही अमेरिका एक महत्वपूर्ण साझेदार बना रहेगा, लेकिन नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और मेक्सिको जैसे देशों में निर्यात में असाधारण वृद्धि इसे दर्शाती है कि भारत अब किसी एक बाजार पर निर्भर नहीं है। ये देश न केवल भारत के उत्पादों को अपने में समाहित कर रहे हैं, बल्कि उन्नत तकनीकों और टिकाऊ उत्पादों के क्षेत्र में विस्तार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं।"

भारत ने इन सभी देशों को मिलाकर 2024-25 में 162 अरब डॉलर का निर्यात किया था। पिछले तीन वर्षों में इन देशों को भारतीय निर्यात में 19 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर देखी गई, जबकि अमेरिका के मामले में यह 15 प्रतिशत रही। यह भारत के विविध व्यापार पोर्टफोलियो की क्षमता को उजागर करता है।

वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार, भारत के घरेलू बाजार का बड़ा आकार बाहरी मांग पर निर्भरता को कम करता है और यह अमेरिकी टैरिफ वृद्धि से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान से भी बचाता है, जो दुनिया में सबसे तेज़ गति से बढ़ रही है।

रेटिंग एजेंसी ने भारत के वित्त वर्ष 26 के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा, जबकि वित्त वर्ष 27 के लिए 6.3 प्रतिशत की उच्च वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो दिसंबर के पूर्वानुमान 6.2 प्रतिशत से अधिक है।

अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून अवधि) में 7.8 प्रतिशत रही है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.5 प्रतिशत थी।

एनएसओ द्वारा जारी डेटा के अनुसार, अप्रैल-जून अवधि में देश की रियल जीडीपी 47.89 लाख करोड़ रुपए रही है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 44.42 लाख करोड़ रुपए थी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत के निर्यात में विविधता लाने से न केवल अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम किया गया है, बल्कि यह वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा को भी मजबूती प्रदान कर रहा है। देश की आर्थिक स्थिरता के लिए यह एक सकारात्मक कदम है।
NationPress
08/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत का निर्यात किस क्षेत्रों में बढ़ा है?
भारत का निर्यात मुख्यतः मध्य पूर्व, यूरोप, लैटिन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्रों में बढ़ा है।
अमेरिकी टैरिफ का भारत पर क्या प्रभाव है?
अमेरिकी टैरिफ की वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, लेकिन भारत ने अपने निर्यात को विविधता देकर इस प्रभाव को कम करने में सफलता प्राप्त की है।
भारत का निर्यात 2024-25 में कितना था?
भारत ने 2024-25 में 162 अरब डॉलर का निर्यात किया था।