क्या सिल्वर ने 2.54 लाख रुपए के नए रिकॉर्ड को छुआ?
सारांश
Key Takeaways
- चांदी ने 2.54 लाख रुपए का नया रिकॉर्ड बनाया।
- सोने की कीमतों में मामूली गिरावट आई है।
- ग्लोबल मार्केट में चांदी की कीमतों में तेज गिरावट देखी गई।
- बीते सप्ताह में डॉलर इंडेक्स में कमजोरी आई है।
- चीन का निर्यात पर रोक लगाने का प्रस्ताव कीमतों को प्रभावित कर सकता है।
मुंबई, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को घरेलू स्तर पर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर मार्च डिलीवरी वाली चांदी ने एक और नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। चांदी के दाम में 4 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ यह 2,54,174 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई, जो अब तक का सर्वाधिक स्तर है। वहीं, सोने की कीमतों में मामूली कमी देखने को मिली।
खबर लिखे जाने तक (सुबह 10:47 बजे) मार्च डिलीवरी वाली चांदी 3.72 प्रतिशत यानी 8,931 रुपए की तेजी के साथ 2,48,718 रुपए प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी। दूसरी ओर, फरवरी डिलीवरी वाला सोना 24 रुपए यानी 0.02 प्रतिशत की मामूली कमी के साथ 1,39,849 रुपए प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था।
हालांकि, वैश्विक बाजार में चांदी की कीमतों में तेज गिरावट देखी गई। इससे पहले, चांदी ने स्पॉट मार्केट में 84 डॉलर प्रति औंस से अधिक का नया रिकॉर्ड स्थापित किया था।
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद निवेशकों ने मुनाफा कमाने के लिए बिकवाली की, जिससे चांदी अपने ऊंचे स्तर से लगभग 8 प्रतिशत तक गिर गई। इस गिरावट ने चांदी में लगातार सातवें दिन बढ़त दर्ज करने का सिलसिला तोड़ दिया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी के फ्यूचर्स रेट शुरुआती कारोबार में 82.67 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचे, जो एक दिन में 7 प्रतिशत की वृद्धि थी। इससे पहले शुक्रवार को इसमें 11 प्रतिशत की बड़ी तेजी आई थी, जो 2008 के बाद एक दिन की सबसे बड़ी बढ़त थी।
इन ऊंची कीमतों पर चांदी की तेजी अक्टूबर में सप्लाई की कमी के कारण और भी अधिक मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि छुट्टियों के कारण बाजार में कम खरीद-बिक्री हुई, जिससे कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिला। बाजार में चांदी की उपलब्धता कम है और पैसा जल्दी बाहर निकल सकता है, जिससे कीमतों में तेजी बनी हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की तरह चांदी का भी कोई बड़ा भंडार नहीं है। लंदन गोल्ड मार्केट में लगभग 700 अरब डॉलर का सोना मौजूद है, जिसे जरूरत पड़ने पर बाजार में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन चांदी के मामले में ऐसा नहीं है।
2025 में अब तक चांदी की कीमतों में लगभग 180 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। इस वर्ष के अभी तीन कारोबारी दिन बाकी हैं और यदि यही रफ्तार रही, तो यह 1979 के बाद चांदी का सबसे अच्छा साल साबित हो सकता है, जब कीमतें 200 प्रतिशत से अधिक बढ़ी थीं।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के कमोडिटीज उपाध्यक्ष राहुल कलंत्री ने कहा कि डॉलर इंडेक्स में कमजोरी, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और दुनिया में बढ़ते तनाव से चांदी की कीमतों को सहारा मिला है। डॉलर इंडेक्स लगातार पांचवें सप्ताह गिरा है।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और वेनेजुएला के बीच नए तनाव से निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में कीमती धातुओं (सोने और चांदी) की ओर रुख कर रहे हैं।
चीन द्वारा जनवरी 2026 से चांदी के निर्यात पर रोक लगाने के प्रस्ताव से भी कीमतों में तेजी आई है। दुनिया में अनिश्चितता के कारण लोग कीमती धातुओं में निवेश कर रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, चांदी को 2,38,810 से 2,37,170 रुपए के स्तर पर सपोर्ट मिल सकता है, जबकि ऊपर की ओर 2,41,810 से 2,43,470 रुपए का स्तर रेजिस्टेंस के रूप में काम कर सकता है।