क्या अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं होगा?

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क्या अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं होगा?

सारांश

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के प्रभाव पर विचार साझा किए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका कोई बड़ा असर नहीं होगा, जब तक जवाबी टैरिफ लागू नहीं होता। जानिए इस पर उनका क्या कहना है और भविष्य की संभावनाएँ क्या हैं।

Key Takeaways

  • अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं होगा।
  • आरबीआई ने जीडीपी विकास अनुमान को 6.5 प्रतिशत कर दिया है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है।
  • मुद्रास्फीति पर प्रभाव सीमित रहने की संभावना है।
  • विभिन्न देशों से तेल खरीदने से मुद्रास्फीति पर असर कम होगा।

मुंबई, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को स्पष्ट किया कि जब तक कोई जवाबी टैरिफ नहीं लगाया जाता, अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।

मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "अमेरिकी टैरिफ के संदर्भ में जो अनिश्चितता बनी हुई है, उसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई गंभीर असर नहीं हो सकता। यह पूरी तरह से जवाबी टैरिफ के कार्यान्वयन पर निर्भर करेगा, जिसकी संभावना कम है।"

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "हमें आशा है कि हम एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने में सक्षम होंगे।"

गवर्नर ने यह भी बताया कि आरबीआई ने वैश्विक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए अपने जीडीपी विकास अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।

उन्होंने कहा, "आरबीआई को भरोसा है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है।"

उन्होंने यह भी कहा, "हमें अपनी आवश्यकताओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार से पूरा करने का पूरा विश्वास है।"

रूसी तेल की खरीद में कमी के कारण घरेलू मुद्रास्फीति पर संभावित प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना आवश्यक है कि भारत केवल रूस से ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों से भी तेल खरीदता है।

उन्होंने आगे कहा, "हमें दो बातों का ध्यान रखना होगा। पहली यह कि हम न केवल रूसी तेल खरीदते हैं, बल्कि कई अन्य देशों से भी। यदि मिश्रण में परिवर्तन होता है, तो इसकी कीमतों पर असर और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें इस पर निर्भर करेंगी। दूसरी बात यह है कि उत्पाद शुल्क और अन्य टैरिफ के रूप में इसका कितना प्रभाव सरकार उठाती है, यह भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, फिलहाल हमें मुद्रास्फीति पर इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा है, क्योंकि यदि कोई 'प्राइस शॉक' आता है, तो सरकार उचित निर्णय लेगी।"

आरबीआई की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा, "मुद्रास्फीति पर इसका प्रभाव सीमित रहने की संभावना है। हमारी मुद्रास्फीति बास्केट में लगभग आधा हिस्सा खाद्य पदार्थों का है, जिस पर वैश्विक घटनाक्रमों का सीधा असर नहीं पड़ता।"

Point of View

तो भारतीय बाजार स्थिर रहेंगे। यह समय है कि हम वैश्विक आर्थिक परिवेश का ध्यान रखें और अपने व्यापार संबंधों को सहेजकर रखें।
NationPress
06/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर होगा?
आरबीआई गवर्नर के अनुसार, जब तक कोई जवाबी टैरिफ नहीं लगाया जाता, इसका कोई बड़ा असर नहीं होगा।
आरबीआई ने जीडीपी विकास अनुमान को क्यों घटाया?
आरबीआई ने वैश्विक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए जीडीपी विकास अनुमान को घटाया है।
भारत रूसी तेल से कितनी मात्रा में खरीदता है?
भारत कई अन्य देशों से तेल खरीदता है, न कि केवल रूस से।