क्या आईसीईए और जीएसए ने भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए सहयोग की घोषणा की?
सारांश
Key Takeaways
- भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग वैश्विक मानचित्र पर उभरेगा।
- आईसीईए और जीएसए की साझेदारी से नई निवेश संभावनाएं खुलेंगी।
- इस सहयोग से भारतीय कंपनियों को वैश्विक नेटवर्क से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
- भारत सरकार का 76,000 करोड़ रुपए का बजट इस क्षेत्र को मजबूती देगा।
- 2026 में 'इंडिया सेमीकंडक्टर लीडरशिप समिट' का आयोजन होगा।
बेंगलुरु, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। इंडिया सेलुलर और इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) और ग्लोबल सेमीकंडक्टर एलायंस (जीएसए) ने शुक्रवार को एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की, जिसका उद्देश्य देश को ग्लोबल सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में एकीकृत करना है।
यह घोषणा बेंगलुरु में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई, जो आईसीईए और जीएसए द्वारा आयोजित इंडिया सेमीकंडक्टर लीडरशिप राउंडटेबल के साथ हुई।
आईसीईए की भारत की नीतियों और मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के साथ गहरी भागीदारी और जीएसए के बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से, इस साझेदारी का उद्देश्य सीमा पार सहयोग को बढ़ावा देना, वैल्यू चेन में विविधता को मजबूत करना और वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत की भूमिका को और बढ़ाना है।
इस साझेदारी के तहत, आईसीईए और जीएसए ने बेंगलुरु में 'इंडिया सेमीकंडक्टर लीडरशिप राउंडटेबल' का उद्घाटन किया, जिसमें वैश्विक और भारतीय सेमीकंडक्टर लीडर्स और सीनियर पॉलिसीमेकर्स ने हिस्सा लिया।
इस सहयोग को आगे बढ़ाते हुए, आईसीईए और जीएसए 2026 में संयुक्त रूप से 'इंडिया सेमीकंडक्टर लीडरशिप समिट' आयोजित करेंगे, जिसकी तारीख अभी तक तय नहीं हुई है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के सीईओ अमितेश कुमार सिन्हा के अनुसार, आईसीईए और जीएसए की यह साझेदारी समयोचित और रणनीतिक है।
उन्होंने कहा, "यह ग्लोबल फैबलेस इकोसिस्टम को भारत के बढ़ते डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग आधार से जोड़ता है, जिससे भारतीय फैबलेस चैंपियनों, आगामी भारतीय फाउंड्रीज और पैकेजिंग यूनिट्स की फंडिंग के लिए रास्ता तैयार होता है।"
भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के तहत, सरकार ने सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए 76,000 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपए की निवेश प्रतिबद्धताओं वाली लगभग 10 परियोजनाओं को पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है, जिनमें एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, एटीएमपी/ओएसएटी सुविधाएं और कंपाउंड-सेमीकंडक्टर पहल शामिल हैं, जो कार्यान्वयन की मजबूत गति को दर्शाती हैं।