क्या आईसीआईसीआई बैंक 4 अक्टूबर से जमा किए गए चेक एक ही कार्य दिवस में करेगा क्लियर?

सारांश
Key Takeaways
- एक कार्य दिवस में चेक क्लियरिंग
- आरबीआई के नए दिशा-निर्देश
- पॉजिटिव पे फीचर की आवश्यकता
- धोखाधड़ी से सुरक्षा
- ग्राहकों के लिए बेहतर सेवा
नई दिल्ली, 23 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आईसीआईसीआई बैंक ने अपने चेक क्लियरिंग प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन करते हुए यह घोषणा की है कि 4 अक्टूबर से जमा किए गए चेक अब एक ही कार्य दिवस में क्लियर किए जाएंगे। इस कदम का लक्ष्य ग्राहकों को बेहतर सेवा प्रदान करना और देरी को कम करना है। सभी शाखाओं में चेक एक कार्य दिवस में क्लियर होकर खातों में जमा किए जाएंगे।
यह निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए चेक क्लियरिंग सिस्टम के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य निपटान प्रक्रिया को तेज करना है। पुराने बैच-बेस्ड सिस्टम की जगह अब एक नया ढांचा लाया जाएगा, जिससे चेक जमा करने के कुछ घंटों में ही क्लियर हो जाएंगे।
इस प्रणाली में चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) का उपयोग होता है, जो चेक की इलेक्ट्रॉनिक इमेज और जानकारी ड्रॉई बैंक को भेजता है। इससे चेक को भौतिक रूप से भेजने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन ड्रॉप बॉक्स या एटीएम में जमा करने पर आमतौर पर दो कार्य दिवस लगते हैं।
बैंक ने अपने पॉजिटिव पे फीचर का भी उल्लेख किया है, जो 50,000 रुपए से अधिक के चेक को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है। धोखाधड़ी से बचने के लिए, ग्राहक 50,000 रुपए से अधिक के चेक लिखते समय आवश्यक विवरणों को पहले से इलेक्ट्रॉनिक रूप से वेरिफाई कर सकते हैं।
5 लाख रुपए से अधिक राशि के चेक के लिए पॉजिटिव पे फीचर अनिवार्य है; अन्यथा, चेक को वापस कर दिया जाएगा। आरबीआई का विवाद समाधान प्रक्रिया केवल पॉजिटिव पे के तहत वेरिफाई किए गए चेकों पर लागू होगी।
आरबीआई ने अगस्त 2025 में अपने दिशा-निर्देश में कहा था कि बैच क्लियरिंग से लगातार क्लियरिंग और सेटलमेंट को सरल बनाया जाएगा। पहला चरण 4 अक्टूबर, 2025 को और दूसरा चरण 3 जनवरी, 2026 को शुरू होगा। 4 अक्टूबर से, सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक चेक जमा किए जा सकेंगे।
ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे चेक रिजेक्ट होने से बचने के लिए सभी विवरणों की सटीकता की जांच करें। राशि शब्दों और अंकों में मेल खानी चाहिए, तारीख वैध होनी चाहिए और पेई के नाम या राशि में कोई ओवरराइटिंग नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, ड्रॉअर के हस्ताक्षर भी बैंक के रिकॉर्ड से मेल खाने चाहिए।