क्या भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के साथ सरकारी बैंकिंग शेयरों में तेजी देखी जा रही है?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय शेयर बाजार ने हल्की गिरावट के साथ कारोबार शुरू किया।
- सरकारी बैंकिंग शेयरों में तेजी देखी गई है।
- निफ्टी २५,६०० के स्तर पर सपोर्ट दिखा रहा है।
- विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में मजबूती से वापसी की है।
- आने वाले समय में निफ्टी में कंसोलिडेशन की संभावना है।
मुंबई, ३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शेयर बाजार ने सोमवार के कारोबार के प्रारंभ में हल्की गिरावट का अनुभव किया। सुबह ९:१९ बजे सेंसेक्स १२६ अंक या ०.१५ प्रतिशत की कमी के साथ ८३,८११ पर था, जबकि निफ्टी २० अंक या ०.०८ प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ २५,६८८ पर था।
प्रारंभिक कारोबार में सरकारी बैंकिंग शेयरों में तेजी आई। निफ्टी पीएसयू बैंक लगभग २ प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ कारोबार कर रहा था। इसके अतिरिक्त, निफ्टी फार्मा, निफ्टी मेटल, निफ्टी रियल्टी, निफ्टी हेल्थकेयर और निफ्टी ऑयल एंड गैस भी सकारात्मक संकेत दे रहे थे। हालांकि, निफ्टी आईटी, निफ्टी एफएमसीजी और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज में गिरावट देखी गई।
लार्जकैप के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में तेजी आई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स ११४ अंक या ०.१९ प्रतिशत की बढ़त के साथ ५९,९४० पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स १२० अंक या ०.६६ प्रतिशत की मजबूती के साथ १८,५०१ पर रहा।
सेंसेक्स में एमएंडएम, एसबीआई, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल, भारती एयरटेल, सन फार्मा, टाटा स्टील और पावर ग्रिड हरे निशान में थे। जबकि मारुति सुजुकी, बीईएल, टाइटन, इटरनल (जोमैटो), बजाज फाइनेंस, एक्सिस बैंक, बजाज फिनसर्व, एनटीपीसी, ट्रेंट, कोटक महिंद्र बैंक, टीसीएस, टेक महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक नुकसान में रहे।
चॉइस ब्रोकिंग के अनुसार, निफ्टी एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है और गिरावट के बावजूद २५,८०० के ऊपर बना हुआ है, जो यह दर्शाता है कि आने वाले समय में बाजार में एक छोटा कंसोलिडेशन देखा जा सकता है। निफ्टी के लिए सपोर्ट २५,६०० से लेकर २५,५०० पर है, जबकि रुकावट का स्तर २५,८०० से लेकर २६,००० के बीच है।
ब्रोकिंग फर्म ने यह भी बताया कि यदि निफ्टी २६,००० के पार जाता है, तो यह २६,१०० से लेकर २६,३०० तक पहुंच सकता है।
तीन महीनों तक लगातार बिकवाली के बाद, विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार में एक मजबूत वापसी की है और लगभग १४,६१० करोड़ रुपये का निवेश किया।
विदेशी निवेशकों की वापसी का मुख्य कारण कॉरपोरेट आय में वृद्धि, अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती और अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड डील की संभावना है।