क्या केंद्र ने क्रिटिकल मिनरल वैल्यू चेन में आरएंडडी को बढ़ावा देने के लिए दो नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की है?

Click to start listening
क्या केंद्र ने क्रिटिकल मिनरल वैल्यू चेन में आरएंडडी को बढ़ावा देने के लिए दो नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की है?

सारांश

केंद्र द्वारा भारतीय विज्ञान संस्थान और सी-मेट को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की मान्यता दी गई है, जो क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में अनुसंधान को विकसित करेगा। यह कदम आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा और देश के लिए महत्वपूर्ण है।

Key Takeaways

  • केंद्र ने दो नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की है।
  • ये केंद्र क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देंगे।
  • यह कदम आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
  • भारत का 2030 तक का उत्सर्जन लक्ष्य 45% की कमी है।
  • यह मिशन क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी को समर्थन देने पर केंद्रित है।

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। खान मंत्रालय के अनुसार, मंत्रालय ने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बैंगलोर और सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (सी-मेट), हैदराबाद को राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) के तहत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) के रूप में मान्यता प्रदान की है।

आधिकारिक जानकारी में कहा गया है कि ये सीओई क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में देश की विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षमताओं को बढ़ाते हुए नवोन्मेषी और परिवर्तनकारी अनुसंधान करेंगे।

मंत्रालय ने बताया कि यह निर्णय प्रोजेक्ट अप्रूवल एंड एडवाइजरी कमेटी (पीएएसी) द्वारा 24 अक्टूबर 2025 को खान मंत्रालय के सचिव पीयूष गोयल और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. अभय करंदीकर की सह-अध्यक्षता में होने वाली बैठक में दी गई मंजूरी के बाद लिया गया।

क्रिटिकल रॉ मटेरियल क्लीन एनर्जी और मोबिलिटी ट्रांजीशन जैसे उभरते क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण सप्लाई चेन का निर्माण करते हैं। इसके अलावा, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस और स्पेस जैसे रणनीतिक क्षेत्रों के लिए भी ये मटेरियल बहुत महत्वपूर्ण हैं।

केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए 2025 में राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की शुरुआत की है।

इस मिशन के तहत, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) को 2024-25 से 2030-31 तक 1,200 एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट संचालित करने का कार्य सौंपा गया है।

भारत का लक्ष्य 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत तक कम करना है।

इसी के साथ, देश 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। इन जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एमसीएमएम महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक मजबूत और आत्मनिर्भर व्यवस्था स्थापित कर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

यह विशेष मिशन निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने, अंतरराष्ट्रीय भागीदारी को मजबूत करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी के लिए आवश्यक खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विनियमों को सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित है।

Point of View

बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन न केवल देश के आर्थिक विकास में सहायक होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत को एक प्रमुख स्थान दिलाने में मदद करेगा।
NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

केंद्र ने किन संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में मान्यता दी है?
केंद्र ने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बैंगलोर और सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (सी-मेट), हैदराबाद को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में मान्यता दी है।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है।
भारत का 2030 तक का क्या लक्ष्य है?
भारत का लक्ष्य 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत तक कम करना है।