क्या पूर्वोत्तर में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए यूनिफाइड एप्रोच आवश्यक है? : ज्योतिरादित्य सिंधिया

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क्या पूर्वोत्तर में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए यूनिफाइड एप्रोच आवश्यक है? : ज्योतिरादित्य सिंधिया

सारांश

उत्तरी पूर्वी भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को गति देने के लिए यूनिफाइड एप्रोच की आवश्यकता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सुझाव दिए कि कैसे विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से विकास को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है। जानें इस महत्वपूर्ण बैठक में क्या-क्या चर्चा हुई!

Key Takeaways

  • यूनिफाइड एप्रोच से पूर्वोत्तर क्षेत्र का समग्र विकास होगा।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रिड को एकीकृत करना आवश्यक है।
  • प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के लिए निगरानी तंत्र की स्थापना।
  • डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
  • क्षेत्र के विकास के लिए औद्योगिक क्लस्टर का विकास करना होगा।

नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी लाने के लिए यूनिफाइड एप्रोच की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री ने इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी के गैप को दूर करने के लिए पांच सुझाव दिए हैं, जिनमें एक क्षेत्रीय मास्टर प्लान तैयार करके पूर्वोत्तर क्षेत्र की इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रिड को एकीकृत करना, एनईआर के लिए प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के लिए एक निगरानी तंत्र की स्थापना, विभिन्न कर और अन्य रियायतों के माध्यम से मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क के लिए नीति को बढ़ाना, पड़ोसी देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सीमा पार कनेक्टिविटी को प्रोत्साहित करना और डिजिटल कनेक्टिविटी और पावर ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना शामिल है।

'पूर्वोत्तर क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी' पर हाई-लेवल टास्क फोर्स (एचएलटीएफ) की बैठक में बोलते हुए, सिंधिया ने कहा कि भविष्य की परियोजनाओं की बेहतर योजना बनाने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र की सभी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर मैप किया जाना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने सभी पूर्वोत्तर राज्यों से अनुरोध किया कि वे अपनी स्टेट लॉजिस्टिक्स पॉलिसी को मंत्रालय द्वारा देश भर में सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर तैयार किए गए मानकों के अनुसार अद्यतन करें।

उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र के तीव्र आर्थिक विकास के लिए परिवहन गलियारों के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में औद्योगिक क्लस्टर का विकास किया जा सकता है।

एचएलटीएफ बैठक में हाईवे, रेलवे, जलमार्ग, वायुमार्ग, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल संपर्क जैसे क्षेत्रों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में मौजूदा क्रिटिकल गैप पर ध्यान केंद्रित किया गया।

पूर्वोत्तर में इन्फ्रास्ट्रक्चर अंतर को पाटने के लिए, एचएलटीएफ बैठक में एक व्यापक इन्फ्रास्ट्रक्चर मास्टरप्लान तैयार करने का निर्णय लिया गया। यह योजना सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के परामर्श से विकसित की जाएगी, जिससे क्षेत्रीय विकास के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण सुनिश्चित होगा।

बैठक के दौरान चर्चा के प्रमुख बिंदुओं में राज्य-विशिष्ट बाधाओं और चुनौतियों की पहचान, महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी गैप और प्राथमिकता वाली इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरतें, पूंजी निर्माण के लिए राज्य बजट और राष्ट्रीय निवेश का एकीकरण और 2047 तक विकसित पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक रोडमैप का कार्यान्वयन शामिल था।

इस वर्ष की शुरुआत में केंद्र ने आठ हाई-लेवल टास्क फोर्स (एचएलटीएफ) का गठन किया था, जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व पूर्वोत्तर राज्य के एक मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता है, जिसमें केंद्रीय मंत्री और अन्य राज्यों के तीन मुख्यमंत्री सदस्य होते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से ही संभव है। यूनिफाइड एप्रोच से एक समग्र रणनीति का निर्माण होगा, जो न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विकास को गति देगी।
NationPress
08/08/2025

Frequently Asked Questions

पूर्वोत्तर क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास क्यों आवश्यक है?
पूर्वोत्तर क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और कनेक्टिविटी में सुधार के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास आवश्यक है।
क्या है यूनिफाइड एप्रोच?
यूनिफाइड एप्रोच का अर्थ है सभी राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ मिलकर एक समग्र योजना बनाना।
केंद्रीय मंत्री ने किन सुझावों की बात की?
केंद्रीय मंत्री ने क्षेत्रीय मास्टर प्लान, निगरानी तंत्र, और सीमा पार कनेक्टिविटी जैसे सुझाव दिए।
क्या है एचएलटीएफ?
एचएलटीएफ का मतलब है हाई-लेवल टास्क फोर्स, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए बनी है।
इस बैठक में कौन-कौन शामिल था?
बैठक में सभी पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शामिल थे।