क्या सीबीआई ने कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
- कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा मिली थी।
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेंगर की सजा निलंबित की।
- उन्नाव दुष्कर्म मामले ने देश में आक्रोश फैलाया।
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित मामलों को दिल्ली स्थानांतरित किया।
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2017 के उन्नाव दुष्कर्म मामले में निष्कासित भारतीय जनता पार्टी नेता कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने और उन्हें जमानत प्रदान करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत दायर की गई विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में दिल्ली उच्च न्यायालय के 23 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें सेंगर की अपील लंबित रहने के दौरान उनकी सजा निलंबित करने की अनुमति दी गई थी।
इससे पहले, सीबीआई और पीड़िता के परिवार ने दोनों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की योजना बनाई थी।
सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष सेंगर की याचिका का विरोध करते हुए अपराध की गंभीरता और इससे जुड़े संभावित खतरों को उजागर किया था।
मंगलवार को पारित आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया और उन्हें सशर्त जमानत दी।
हालांकि, जमानत मिलने के बावजूद, सेंगर की तत्काल रिहाई की संभावना कम है, क्योंकि वह पीड़िता के पिता की मृत्यु से जुड़े अन्य मामलों में अलग से सजा काट रहे हैं।
उन्नाव दुष्कर्म मामले ने देशभर में भारी आक्रोश पैदा किया था।
दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए उसे कारावास की सजा सुनाई थी, साथ ही 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले इस घटना से जुड़े सभी मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था और मुकदमे की रोजाना सुनवाई के निर्देश दिए थे।
इस बीच, शुक्रवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के परिजनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने कुलदीप सेंगर की आजीवन कारावास की सजा निलंबित किए जाने के विरोध में दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर प्रदर्शन किया।
नारेबाजी करते हुए और तख्तियां हाथ में लेकर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जमानत के इस आदेश ने “जनता के विश्वास को झकझोर दिया है” और महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर गलत संदेश दिया है।