क्या इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज मामले में डॉक्टर और मरीज दोनों की गलती है? सीएम से समाधान की अपेक्षा: जयराम ठाकुर
सारांश
Key Takeaways
- दोनों पक्षों की गलती है - डॉक्टर और मरीज दोनों जिम्मेदार हैं।
- स्वास्थ्य सेवाएं संकट में हैं और हड़ताल की संभावना है।
- समाधान के लिए संवाद जरूरी है।
- डॉक्टरों और मरीजों के बीच सम्मान की भावना होनी चाहिए।
- सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर निर्णय नहीं लेना चाहिए।
मंडी, 26 दिसंबर, (राष्ट्र प्रेस)। शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर और मरीज के बीच हुई मारपीट के बाद विवाद और गहरा होता दिख रहा है। जहां एक ओर डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का संकेत दिया है, वहीं इस मुद्दे पर राजनीति भी तेज हो गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि उनके अनुसार इस मामले में दोनों पक्षों की गलती है। मरीज की गलती तो है ही, साथ ही डॉक्टर की भी।
उन्होंने कहा कि अस्पताल से मिली रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की गई है। डॉक्टर पर सस्पेंशन की कार्रवाई उचित है, क्योंकि उसने हाथ उठाया था, लेकिन टर्मिनेशन कुछ ही मामलों में होता है। ऐसे में मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए इस हद तक नहीं ले जाना चाहिए था।
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री को दोनों पक्षों को सुनना चाहिए था और सख्त हिदायत देकर कोई अन्य समाधान निकालना चाहिए था, जिससे ऐसे मामलों में लोगों को सख्त संदेश मिल सके।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। डॉक्टरों का हड़ताल पर जाने का विचार चिंताजनक है। इससे बचना चाहिए। ऐसे मामलों में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि दोनों पक्षों को समझाकर छोड़ दिया जाना चाहिए। यदि यह मामला कानून की नजर में भी आगे बढ़ता है, तो बड़ी सजा नहीं होगी। इसका समाधान बातचीत से भी निकाला जा सकता है। मुख्यमंत्री को दोनों पक्षों के साथ संवाद कर समाधान निकालना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में विघ्न न आए।
उन्होंने कहा कि ऐसा माहौल होना चाहिए कि मरीजों के मन में किसी प्रकार का डर न हो। डॉक्टरों का कार्य मरीजों का इलाज करना है और मरीजों के मन में डॉक्टरों के प्रति सम्मान होना चाहिए, वहीं डॉक्टरों में भी सेवा भाव होना आवश्यक है। इस संतुलन की आवश्यकता है। सोशल मीडिया के प्रभाव में आने की जरूरत नहीं है।