क्या 2025 में भी नीतीश ने बिहार में <b>'सुशासन बाबू'</b> का रुतबा बनाए रखा?
सारांश
Key Takeaways
- नीतीश कुमार ने 2025 में अपनी राजनीतिक स्थिति को बरकरार रखा।
- विपक्षी नेताओं के प्रयास विफल रहे।
- भाजपा ने युवा नेताओं को महत्वपूर्ण पद दिए।
- मतदाता ने 'सुशासन बाबू' पर विश्वास जताया।
- चुनाव में युवा चेहरों की उपस्थिति के बावजूद नीतीश का प्रभाव बना रहा।
पटना, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नए साल 2026 के आगमन में अब एक पखवाड़े से भी कम समय रह गया है। बिहार के निवासियों ने नए साल 2026 का स्वागत करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस दौरान, 2025 के बीते समय की घटनाओं को याद रखने की कोशिश की जा रही है।
इस वर्ष बिहार की राजनीति में कई युवा नेताओं का नाम भले ही उभरा हो, लेकिन 'सुशासन बाबू' के नाम से प्रसिद्ध नीतीश कुमार का प्रभाव इस साल भी कायम रहा। 2025 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को सत्ता से बाहर करने के लिए न केवल उनकी स्वास्थ्य समस्याओं, बल्कि बिहार में युवा चेहरे को सत्ता सौंपने और अधिकारियों द्वारा राज्य संचालन जैसी बातें भी उठाई गई। तेजस्वी यादव, विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी, जन सुराज के प्रशांत किशोर और कांग्रेस के राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी जैसे युवा चेहरों ने चुनाव प्रचार में भाग लिया, लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने पिछली बार से अधिक सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की।
मतदाताओं ने किसी नए युवा चेहरे की बजाय नीतीश कुमार को प्राथमिकता दी। चुनावी परिदृश्य पर ध्यान दें तो विपक्षी दलों के महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनावी मैदान में प्रवेश किया, लेकिन नीतीश कुमार ने अपने कामों का प्रचार करते हुए जनता के बीच पहुंचकर वोट मांगने का कार्य किया। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपनी जीत के दावे के साथ शपथ ग्रहण की तारीख तक की घोषणा कर दी थी, लेकिन जनता ने 'सुशासन बाबू' को पुनः सत्ता सौंपी।
चुनाव में तेजस्वी और प्रशांत किशोर की योजनाएँ विफल रहीं, राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' का भी बिहार पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। हालांकि, इस चुनाव के परिणाम ने जन सुराज और विकासशील इंसान पार्टी को नई शुरुआत के संकेत दिए, जबकि चिराग पासवान की पार्टी ने भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर यह साबित कर दिया कि उनकी लोकसभा में मिली सफलता कोई संयोग नहीं थी।
यह अलग बात है कि बिहार के मतदाताओं ने नीतीश कुमार पर एक बार फिर से विश्वास जताया हो, लेकिन भाजपा ने अपने युवा नेताओं को आगे लाकर सबको चौंका दिया।
भाजपा ने बांकीपुर से विधायक और बिहार के पूर्व मंत्री नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का पद देकर सभी को हैरान कर दिया। यह पहली बार है जब बिहार के किसी नेता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस नियुक्ति के बाद भाजपा ने स्पष्ट संदेश दिया है कि पार्टी अब युवाओं को आगे बढ़ाकर दूसरी पीढ़ी को तैयार करने में जुटी है।
भाजपा ने दरभंगा के विधायक संजय सरावगी को प्रदेश अध्यक्ष का पद देकर यह भी स्पष्ट कर दिया कि नेतृत्व किसी भी कार्यकर्ता को पार्टी में किसी भी पद पर जिम्मेदारी दे सकता है। इन दोनों नियुक्तियों के बाद कार्यकर्ताओं में भी उत्साह बढ़ा है।
यह वर्ष जहां विपक्ष के युवा नेताओं के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ, वहीं एनडीए के युवा नेताओं के कई सपने साकार हुए हैं।