क्या नोटबंदी के नौ साल पूरे होने से डिजिटल इकोनॉमी में बढ़त का असर हुआ?

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क्या नोटबंदी के नौ साल पूरे होने से डिजिटल इकोनॉमी में बढ़त का असर हुआ?

सारांश

नोटबंदी के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, जानिए कैसे इसने देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि की है। क्या यह निर्णय वास्तव में कालेधन के खिलाफ प्रभावी रहा? जानिए इसके आंकड़ों और प्रभावों के बारे में।

Key Takeaways

  • नोटबंदी ने डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था में बढ़ती संख्या और वैल्यू की वृद्धि हुई है।
  • यूपीआई पर लेनदेन की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई।
  • डिजिटल पेमेंट का उपयोग अब आम जनता में बढ़ता जा रहा है।
  • भविष्य में डिजिटल ट्रांजेक्शन की वृद्धि की उम्मीद है।

नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नोटबंदी के नौ वर्ष शनिवार को पूरे हो जाएंगे। 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए इसका ऐलान किया था।

नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य देश में कालेधन की समाप्ति और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना था, लेकिन इसने डिजिटल इकोनॉमी के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नोटबंदी के समय, देश में डिजिटल पेमेंट का उपयोग सीमित था, लेकिन नकद की कमी के कारण यह प्रणाली तेजी से लोकप्रिय हो गई।

रिसर्च फर्म पीडब्लूसी के आंकड़ों के अनुसार, नोटबंदी के एक वर्ष के भीतर ही डिजिटल अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।

दिसंबर 2016 में यूपीआई पर सक्रिय बैंकों की संख्या 21 थी, जो कि मात्र 9 महीनों में 160% बढ़कर सितंबर 2017 में 55 बैंकों तक पहुंच गई। वहीं, लेनदेन की संख्या दिसंबर 2016 में 20 लाख से बढ़कर 3.08 करोड़ हो गई, जो कि 1,540% की वृद्धि है। इस अवधि में लेनदेन की वैल्यू 7 अरब रुपए से बढ़कर 52.9 अरब रुपए हो गई थी।

इस दौरान एनईएफटी पर लेनदेन की संख्या और वैल्यू में क्रमश: 28% और 61% का इजाफा हुआ। आरटीजीएस पर लेनदेन की संख्या और वैल्यू में क्रमश: 22% और 30% की वृद्धि हुई है।

इस प्रकार, देश का डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम तेजी से विकसित हुआ है।

वित्तीय सेवा विभाग के मुताबिक, 2023-24 वित्तीय वर्ष में डिजिटल पेमेंट लेनदेन की संख्या 18,737 करोड़ तक पहुंच गई है, जबकि 2017-18 में यह 2,071 करोड़ थी। इस दौरान, इसमें 44% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) दर्ज की गई है।

वहीं, इन लेनदेन की वैल्यू 2023-24 वित्तीय वर्ष में 3,659 लाख करोड़ रुपए रही, जो कि 2017-18 में 1,962 लाख करोड़ रुपए थी।

2025 के फेस्टिव सीजन में भी डिजिटल ट्रांजेक्शन में अभूतपूर्व उछाल देखने को मिला है। धनतेरस से दीपावली के तीन दिनों के दौरान यूपीआई पर औसत लेनदेन की संख्या 73.69 करोड़ रही, जो कि पिछले साल इसी अवधि में 64.74 करोड़ थी।

Point of View

लेकिन इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। हमें यह समझना होगा कि यह निर्णय देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने में कितना सफल रहा।
NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

नोटबंदी कब लागू हुई थी?
नोटबंदी 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे लागू हुई थी।
नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य क्या था?
नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य कालेधन की समाप्ति और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना था।
डिजिटल पेमेंट में कितनी वृद्धि हुई है?
डिजिटल पेमेंट में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 18,737 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए हैं।