क्या प्राइवेट कैपेक्स से भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा?

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क्या प्राइवेट कैपेक्स से भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा?

सारांश

भारत का मीडियम-टर्म ग्रोथ आउटलुक बेहतर प्राइवेट कैपेक्स और मजबूत खपत के कारण सकारात्मक बना हुआ है। अक्टूबर में इक्विटी में मजबूत रिकवरी और सरकारी निवेश के चलते भारतीय बाजार में आशावाद बढ़ा है। जानें कि कैसे ये कारक आगामी महीनों में आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।

Key Takeaways

  • प्राइवेट कैपेक्स में सुधार से भारतीय अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है।
  • निफ्टी वैल्यूशन 10 वर्ष के औसत से ऊपर है।
  • सरकारी निवेश और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने से ग्रोथ को समर्थन मिलेगा।

नई दिल्ली, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडीचर में सुधार और मजबूत खपत के चलते भारत का मीडियम-टर्म ग्रोथ आउटलुक सकारात्मक बना हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में भी इक्विटी में मजबूत रिकवरी देखी गई।

एचएसबीसी म्यूचुअल फंड की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि निफ्टी वैल्यूशन 10 वर्षीय औसत से ऊपर है, जिससे भारतीय इक्विटी के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बना हुआ है।

डेट मार्केट के संदर्भ में एचएसबीसी का कहना है कि 2 से 4 वर्ष के कॉरपोरेट बॉंड क्षेत्र में आकर्षक अवसर हैं। महंगाई को लेकर आउटलुक और ग्रोथ में अनिश्चितता दिसंबर में 25 बेसिस प्वाइंट रेट कट का आधार बन सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रोथ साइकल नीचे की ओर जा रहा है और निचले स्तर पर पहुंच सकता है। इंटरेस्ट रेट, लिक्विडिटी साइकल, क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी और सामान्य मानसून ऊपर की ओर ग्रोथ को समर्थन करते हैं।

वैश्विक अनिश्चितता के बीच, जीएसटी रेट कट और आयकम में कटौती प्राइवेट कंजंप्शन को बढ़ावा देगी और प्राइवेट कैपेक्स को समर्थन करेगी।

सरकारी निवेश, मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और रियल एस्टेट रिकवरी के कारण मीडियम-टर्म निवेश की गति जारी रह सकती है।

भारतीय बेंचमार्क सूचकांक ने अक्टूबर में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिसमें एफआईआई की खरीदारी और घरेलू सेंटिमेंट में सुधार के चलते सेंसेक्स और निफ्टी ने 4 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की।

एनएसई मिडकैप इंडेक्स ने 4.8 प्रतिशत की वृद्धि की और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 3.2 प्रतिशत चढ़ा।

सेक्टोरल प्रदर्शन में रियल एस्टेट ने लीड किया, जबकि ऑयल एंड गैस, मेटल, बैंक्स और आईटी ने निफ्टी से बेहतर प्रदर्शन किया। हेल्थकेयर, पावर, एफएमसीजी और ऑटो का प्रदर्शन कमजोर रहा।

केंद्रीय बैंक की आगामी मैक्रो फैक्टर्स जैसे नवंबर के सीपीआई आंकड़े, व्यापार घाटा, जीडीपी और जीएसटी संग्रह को लेकर रेट को लेकर निगाह बनी रहेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई के फॉरन-एक्सचेंज हस्तक्षेप के बावजूद टाइट लिक्विडिटी की स्थिति बनी हुई है। मार्केट्स को ओपन मार्केट परचेस (ओएमओ) के माध्यम से लिक्विडिटी इंफ्यूजन की उम्मीद है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती प्राइवेट कैपेक्स और सरकारी निवेश पर निर्भर करती है। जब तक हम निवेश और उपभोग के इस संतुलन को बनाए रखेंगे, तब तक मीडियम-टर्म ग्रोथ स्थिर रहेगी।
NationPress
10/11/2025

Frequently Asked Questions

प्राइवेट कैपेक्स क्या है?
प्राइवेट कैपेक्स का मतलब है निजी क्षेत्र द्वारा किए गए पूंजीगत व्यय, जो विकास और निर्माण के लिए आवश्यक होता है।
भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ का आउटलुक कैसा है?
भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ का आउटलुक सकारात्मक है, विशेषकर प्राइवेट कैपेक्स और मजबूत खपत के कारण।
इक्विटी बाजार में सुधार क्यों हो रहा है?
इक्विटी बाजार में सुधार एफआईआई की खरीदारी और घरेलू सेंटिमेंट के सुधार के कारण हो रहा है।