क्या आरबीआई के ब्याज दर में कटौती के बाद भारतीय शेयर बाजार ने बुलिश टोन में बंद किया?
सारांश
Key Takeaways
- आरबीआई ने 25 बेसिस पॉइंट ब्याज दर में कटौती की है।
- सेंसेक्स 85,712.37 पर और निफ्टी 26,186.45 पर बंद हुए।
- फेस्टिव डिमांड से ऑटो और आईटी क्षेत्र में बढ़त हुई।
- निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के निर्णय पर है।
- बाजार ने संकेत दिए हैं कि अगर वैश्विक पूंजी प्रवाह बढ़ता है, तो यह लाभप्रद हो सकता है।
मुंबई, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय बेंचमार्क सूचकांक ने रिकॉर्ड उच्च स्तर और पिछले तीन हफ्तों में लगातार बढ़त के बाद प्रॉफिट बुकिंग के कारण इस सप्ताह नुकसान में समाप्त हुए। हालांकि, सेंसेक्स और निफ्टी ने कारोबारी हफ्ते के अंतिम दिन शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 25 बेसिस पॉइंट रेपो दर में कटौती के चलते बढ़त हासिल की और एक बुलिश टोन के साथ सप्ताह का समापन किया।
इस सप्ताह सेंसेक्स 229.03 अंक या 0.27 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,712.37 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 98.50 अंक या 0.37 प्रतिशत की कमी के बाद 26,186.45 पर बंद हुआ।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए मजबूत जीडीपी आंकड़े और शानदार ऑटो बिक्री से शुरूआती आशावाद पर निरंतर एफआईआई आउटफ्लो, रुपए में तेज गिरावट और व्यापार वार्ताओं को लेकर अनिश्चितता का असर पड़ा।
इस दौरान, निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स ने क्रमशः 0.73 प्रतिशत और 1.80 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।
आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को आरबीआई के रेपो दर में कटौती के निर्णय का प्रभाव मार्केट में सेंटीमेंट को बदलने के रूप में सामने आया।
इस सप्ताह फेस्टिव डिमांड और अनुकूल मुद्रा समर्थन के कारण ऑटो और आईटी क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई। वहीं, बैंक, वित्त, उपभोक्ता सामान, पावर, रसायन और तेल और गैस में गिरावट आई।
मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा, "जब तक निफ्टी 26,050-26,000 के बैंड से ऊपर बना रहता है, तब तक तेजी का ढांचा वैध बना रहेगा। अभी तत्काल प्रतिरोध 26,350-26,500 के स्तर पर है और 26,000 से नीचे जाने पर मुनाफावसूली हो सकती है।"
बाजार पर नजर रखने वालों ने बताया कि टैरिफ दबावों और वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ मजबूत बनी हुई है। यदि वैश्विक पूंजी प्रवाह उभरते बाजारों की ओर वापस लौटता है, तो भारतीय इक्विटी बाजार लाभ प्राप्त करने की अच्छी स्थिति में बने रहेंगे।
निवेशकों की निगाहें अब अगले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के निर्णय से मिलने वाले संकेतों पर टिकी हुई हैं। बाजारों ने पहले से ही 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की उम्मीद लगा ली है।