क्या इस वित्त वर्ष में आरबीआई से नीतिगत दर में एक और कटौती की उम्मीद है?

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क्या इस वित्त वर्ष में आरबीआई से नीतिगत दर में एक और कटौती की उम्मीद है?

सारांश

क्या आरबीआई इस वित्त वर्ष में एक और दर कटौती करेगा? जानें क्रिसिल की नई रिपोर्ट में इसके पीछे के कारण और संभावनाएं।

Key Takeaways

  • आरबीआई द्वारा दरों में कटौती की संभावना बढ़ी है।
  • जीएसटी में कटौती से मुद्रास्फीति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • कच्चे तेल की कीमतें मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखेंगी।
  • उपभोक्ता कीमतों पर जीएसटी का प्रभाव अगले वित्त वर्ष में दिखाई देगा।
  • खरीफ फसलों में वर्षा का असर खाद्य मुद्रास्फीति पर पड़ सकता है।

नई दिल्ली, २ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। क्रिसिल की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी दरों में कमी और कच्चे तेल की घटती कीमतों के चलते इस वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति एक बड़ी चिंता का विषय नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व (फेड) द्वारा दरों में कमी की प्रक्रिया ने आरबीआई के लिए दरों में कटौती की संभावनाएं बढ़ा दी हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, फेड ने सितंबर में नीतिगत दरों में २५ आधार अंकों की कटौती की थी। एसएंडपी ग्लोबल को उम्मीद है कि कैलेंडर वर्ष २०२५ के शेष समय में २५ आधार अंकों की और दो कटौतियां की जाएंगी, और इस वित्त वर्ष में आरबीआई द्वारा एक और दर कटौती की संभावना है।

जीएसटी सुधार से मुद्रास्फीति में राहत की संभावना है, जो इस बात पर निर्भर करेगा कि उत्पादक इस कटौती का लाभ कब उपभोक्ता कीमतों पर डालते हैं। खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला पर जीएसटी में कमी की गई है, जिससे मुद्रास्फीति में महत्वपूर्ण कमी आ सकती है।

प्रमुख खरीफ फसल उत्पादक राज्यों में अत्यधिक वर्षा के कारण खाद्य मुद्रास्फीति को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। फिर भी, पर्याप्त जलाशय स्तर रबी उत्पादन के लिए सकारात्मक संकेत हैं।

कुल मिलाकर, आरबीआई एमपीसी को इस वित्त वर्ष में सीपीआई मुद्रास्फीति २.६ प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जबकि अगस्त में यह ३.१ प्रतिशत रहने का अनुमान था।

रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे तेल की कम कीमतें मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखेंगी। हमारा अनुमान है कि ब्रेंट क्रूड इस वित्त वर्ष में औसतन ६२-६७ डॉलर प्रति बैरल रहेगा, जबकि वित्त वर्ष २०२५ में यह औसतन ७८.८ डॉलर प्रति बैरल होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है, "एमपीसी की घोषणा इस बार ब्याज दरों में कटौती की हमारी उम्मीदों के विपरीत रही है। हालांकि, एमपीसी अब तक विकास से संतुष्ट दिख रही है, लेकिन हो सकता है कि वह विकास के लिए नकारात्मक जोखिम सामने आने पर कदम उठाने के लिए अपनी मौद्रिक नीति की गुंजाइश सुरक्षित रख रही हो। मुद्रास्फीति की अनुकूल संभावनाएं मौद्रिक नीति को अधिक उदार बनाए रखने के लिए खुला रखती हैं।"

हालांकि जीएसटी में कटौती से घरेलू क्रय शक्ति बढ़ेगी, लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि उत्पादक कर कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक कब पहुंचाते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, "कुल मिलाकर, हमारा अनुमान है कि जीएसटी दरों में कटौती का उपभोग पर प्रभाव इस वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में दिखाई देगा।"

Point of View

यह कहना उचित है कि आरबीआई की नीतियों का असर देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा पड़ता है। मौद्रिक नीति में होने वाले बदलावों का लाभ आम जनता को मिलना चाहिए, जिससे विकास को गति मिले।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई नीतिगत दर में कटौती क्यों कर सकता है?
आरबीआई नीतिगत दर में कटौती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है।
जीएसटी में कटौती का क्या असर पड़ेगा?
जीएसटी में कटौती से उपभोक्ता कीमतों पर सकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे घरेलू क्रय शक्ति बढ़ेगी।