क्या टाटा ट्रस्ट के बोर्ड की बैठक आज विवाद के बीच होगी?

सारांश
Key Takeaways
- टाटा ट्रस्ट की बोर्ड बैठक आज हो रही है।
- टाटा ग्रुप पर नियंत्रण को लेकर ट्रस्टियों के बीच विवाद है।
- सरकार ने भी इस मुद्दे में हस्तक्षेप किया है।
- टाटा ट्रस्ट की टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है।
- आईपीओ से ट्रस्टियों की वीटो शक्ति कमजोर हो सकती है।
मुंबई, १० अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)।टाटा ट्रस्ट के निदेशकों की बैठक शुक्रवार को निर्धारित की गई है। यह बैठक उस समय हो रही है, जबटाटा ग्रुप पर नियंत्रण को लेकर ट्रस्टियों के बीच विवाद चल रहा है, जिसमें सरकार ने भी हस्तक्षेप किया है। यह जानकारी रिपोर्टों में साझा की गई।
यह बैठक बुधवार को सरकार द्वारा मध्यस्थता में आयोजित चर्चा के बाद हो रही है, जिसमें अधिकारियों नेटाटा ट्रस्ट औरटाटा संस प्राइवेट (टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी) के प्रतिनिधियों से अपने मतभेदों को सुलझाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि समूह का संचालन प्रभावित न हो।
कहा जाता है कि यह विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ ट्रस्टियों ने पूर्व रक्षा सचिवविजय सिंह कोटाटा संस बोर्ड से नामित निदेशक के रूप में हटा दिया और एक अन्य निदेशकवेणु श्रीनिवासन को हटाने का प्रयास किया।
दोनों कोनोएल टाटा का करीबी माना जाता है, जो वर्तमान मेंटाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।
टाटा ट्रस्ट कीटाटा संस में ६६ प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिससे उसे कंपनी के एक तिहाई बोर्ड सदस्यों की नियुक्ति करने और महत्वपूर्ण निर्णयों पर वीटो लगाने का अधिकार प्राप्त है।
रिपोर्टों में बताया गया है कि बोर्ड में मतभेद का एक बड़ा मुद्दाटाटा संस की संभावित लिस्टिंग है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने पहलेटाटा संस को एक "अपर-लेयर" गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में वर्गीकृत किया था, जिससेटाटा संस को शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना अनिवार्य हो गया था।
टाटा ट्रस्ट के कुछ ट्रस्टियों को चिंता है किइनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) उनकी वीटो शक्ति को कमजोर कर सकता है और कंपनी को अधिग्रहण के जोखिमों और सख्त प्रशासनिक नियमों के दायरे में ला सकता है।
टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों की चिंता का एक और विषय 'मैजोरिटी ऑफ माइनॉरिटी' के वोटिंग प्रावधान है, जिससेटाटा संस में १८.३७ प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वालेशापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह का प्रभाव बढ़ सकता है।
रिपोर्टों के अनुसार, इससे बड़े फैसले लेने की क्षमताटाटा ट्रस्ट से हटकरटाटा संस के बोर्ड और सार्वजनिक निवेशकों के हाथ में चली जाएगी।
हालांकि, इस मुद्दे का जल्दी कोई हल निकलने की संभावना नहीं है।टाटा संस को कथित तौर पर इस साल के अंत तक भारतीय रिजर्व बैंक से नए दिशानिर्देश मिलने की उम्मीद है, जिससे कंपनी लिस्टिंग की अनिवार्यता से आवश्यक छूट मिल सकती है।
टाटा संस के अध्यक्षनटराजन चंद्रशेखरन को ट्रस्टियों नेशापूरजी पलोनजी समूह के साथ होल्डिंग कंपनी से शांतिपूर्ण तरीके से बाहर निकलने के लिए बातचीत शुरू करने का निर्देश दिया है।
एसपी समूह कर्ज कम करने के लिए अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहा है, लेकिन उसे खरीदार ढूंढने में कठिनाई हो रही है।
रिपोर्टों के अनुसार, एसपी समूह कई विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिसमेंटाटा संस द्वारा अपने कुछ या सभी शेयर खरीदने की संभावना भी शामिल है।
समूह किसी भी संभावित बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग अपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर शाखा के कर्ज को चुकाने के लिए करने की योजना बना रहा है, जिससे उसे उधारी लागत कम करने और अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने में मदद मिलेगी।