क्या ट्रेनों में यात्रियों के कंबल की समस्या का हल निकला?

सारांश
Key Takeaways
- कंबल के साथ कवर की नई व्यवस्था लागू की गई है।
- यह पहल यात्रियों की सुरक्षा और आराम को ध्यान में रखकर की गई है।
- पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों के आधार पर अन्य ट्रेनों में लागू किया जाएगा।
- छोटे स्टेशनों पर सुविधाओं में सुधार किया गया है।
- नई वंदे भारत स्लीपर में अपर बर्थ को आरामदायक बनाया गया है।
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रेलवे ने यात्रियों की कंबलों से जुड़ी शिकायतों को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। अब यात्रियों को ट्रेनों में कंबल के साथ-साथ एक कवर भी प्रदान किया जाएगा। यह योजना वर्तमान में पायलट आधार पर लागू की गई है। रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बारे में जानकारी दी।
मीडिया से बातचीत में अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हमारे रेलवे सिस्टम में कंबल का उपयोग वर्षों से होता आ रहा है, लेकिन यात्रियों के मन में हमेशा एक संशय रहा है। इस संशय को दूर करने के लिए आज एक नई पहल की गई है, जिसके तहत अब ट्रेनों में कंबल के साथ कवर भी उपलब्ध होगा।
उन्होंने बताया कि यह योजना फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत केवल जयपुर से चलने वाली एक ट्रेन में लागू की गई है। इस पायलट प्रोजेक्ट के परिणामों के आधार पर इसे अन्य ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छोटे-छोटे स्टेशनों पर भी सुविधाओं में सुधार किया गया है। प्लेटफार्म की ऊंचाई, उसकी लंबाई, और प्लेटफार्म पर छायादार स्थान बनाने का काम किया गया है। यात्री जानकारी के लिए साइन बोर्ड भी लगाए जा रहे हैं। राजस्थान के लगभग 65 स्टेशनों पर ये सुविधाएं उपलब्ध हैं।
इसके अलावा, नई वंदे भारत स्लीपर में अपर बर्थ को अधिक आरामदायक बनाया गया है ताकि सभी आयु वर्ग के लोग आसानी से इसका उपयोग कर सकें।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में काइनेट में वंदे भारत प्रोजेक्ट के निदेशक निशुंक गर्ग ने बताया कि आमतौर पर यात्रियों में धारणा होती है कि अपर बर्थ आरामदायक नहीं होता है और इसमें चढ़ने में कठिनाई होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने नई वंदे भारत स्लीपर को डिज़ाइन किया है।
उन्होंने आगे बताया कि इसमें अपर बर्थ तक पहुंचने वाली सीढ़ी को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए यह सुविधाजनक हो।