क्या 8 घंटे की शिफ्ट अहंकार नहीं, बल्कि मन लगाकर काम करने का सवाल है? : निर्देशक सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा

सारांश
Key Takeaways
- 8 घंटे की शिफ्ट का महत्व
- कार्य-जीवन संतुलन की आवश्यकता
- समान वेतन का विचार
- अभिनेता की आवश्यकता के अनुसार काम
- मन लगाकर काम करना ज़रूरी है
मुंबई, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म उद्योग में कार्य-जीवन संतुलन और 8 घंटे की शिफ्ट पर चल रही बहस पर 'महाराज' के निर्देशक सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने अपनी स्पष्ट राय व्यक्त की। उन्होंने बताया कि रानी मुखर्जी और काजोल जैसे कई कलाकार पहले से ही 8 घंटे की शिफ्ट में काम कर रहे हैं।
सिद्धार्थ ने अपनी 2018 में आई फिल्म 'हिचकी' का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे सिर्फ 28 दिनों में 8 घंटे की शिफ्ट में पूरा किया गया था। उनका मानना है कि कम समय में भी बेहतर काम किया जा सकता है। यह अहंकार का नहीं, बल्कि मन लगाकर काम करने का सवाल है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए सिद्धार्थ ने कहा, “हर फिल्म की अपनी आवश्यकताएँ होती हैं। हमने 'हिचकी' को रानी मुखर्जी और बच्चों के साथ 28 दिनों में 8 घंटे की शिफ्ट में पूरा किया। सभी ने मिलकर काम किया। काजोल भी 2010 में 8 घंटे की शिफ्ट में काम करती थीं। दीपिका पादुकोण जो कह रही हैं, वह नया नहीं है। यदि किसी निर्देशक को किसी अभिनेता की आवश्यकता है और वह दिन में 6 घंटे दे सकता है, तो यह ठीक है। यह ईगो का नहीं, बल्कि मन लगाकर काम करने का सवाल है।”
गौरतलब है कि 8 घंटे की शिफ्ट का मुद्दा हाल ही में चर्चा में है। दीपिका पादुकोण ने प्रभासप्रॉफिट शेयरिंग और 8 घंटे की शिफ्ट जैसे मुद्दों पर असहमति के चलते प्रोजेक्ट छोड़ा है। इसके बाद फिल्म निर्माताओं ने तृप्ति डिमरी को चुना है।
सिद्धार्थ ने उद्योग में वेतन असमानता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि दीपिका और आलिया भट्ट जैसी अभिनेत्रियां अब सबसे अधिक कमाई करने वाले कलाकारों में शामिल हैं। उनके अनुसार, वेतन स्टार पावर और बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की शुरुआती कमाई पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, “यह जेंडर का सवाल नहीं, बल्कि बिजनेस का तर्क है। यदि कोई अभिनेता शुरुआती कमाई लाता है, तो उसे उसी अनुसार वेतन मिलना चाहिए।”