क्या ईरान ने अमेरिकी हमले को 'क्रूर' करार दिया और संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई की मांग की?

सारांश
Key Takeaways
- ईरान ने अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की।
- हमले को 'क्रूर सैन्य आक्रमण' कहा गया।
- ईरान ने संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई की मांग की।
- इजरायल पर तनाव बढ़ाने का आरोप।
- आईएईए से स्थिति पर विचार करने का अनुरोध।
तेहरान, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। ईरान ने अपने न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की है। ईरान ने इसे ‘क्रूर सैन्य आक्रमण’ बताते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का घोर उल्लंघन करार दिया है।
तीन न्यूक्लियर साइट्स फोर्डो, नतांज और इस्फाहान पर अमेरिकी हवाई हमलों के बाद, ईरान ने संयुक्त राष्ट्र और इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) से तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान का विदेश मंत्रालय ईरान के शांतिपूर्ण न्यूक्लियर फैसिलिटी के खिलाफ अमेरिकी सैन्य आक्रमण की कड़ी निंदा करता है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। अमेरिका को इस गंभीर अपराध के खतरनाक परिणामों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।’
ईरान ने आगे आरोप लगाया है कि यह हमला यहूदी शासन की आपराधिक मिलीभगत से किया गया। ईरान ने इजरायल पर तनाव बढ़ाने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
ईरानी सरकार ने कहा कि ये हमले न केवल संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2, पैराग्राफ 4 का उल्लंघन हैं, बल्कि सिक्योरिटी काउंसिल के प्रस्ताव 2231 का भी उल्लंघन हैं।
ईरान ने जोर दिया कि टारगेटेड न्यूक्लियर फैसिलिटी आईएईए सुरक्षा उपायों के अंतर्गत थी और इसका उद्देश्य पूरी तरह से शांतिपूर्ण था।
बयान में आगे कहा गया, ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान अमेरिका की सैन्य आक्रामकता और इस शासन के अपराधों का पूरी ताकत से विरोध करने और ईरान की सुरक्षा व राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के अपने अधिकार को मान्यता देता है।’
ईरान ने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग की है। साथ ही आईएईए के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स से स्थिति पर विचार करने का अनुरोध किया है।
मंत्रालय ने आईएईए महानिदेशक पर ‘स्पष्ट पक्षपात’ दिखाने का आरोप लगाया है।
बयान के अंत में कहा गया, ‘अब यह स्पष्ट हो गया है कि एक देश जो खुद को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य मानता है, वह किसी भी नियम या नैतिकता का पालन नहीं करता है। वह नरसंहार और कब्जा करने वाले शासन के हितों को आगे बढ़ाने के लिए किसी भी कानून को तोड़ने या अपराध करने से परहेज नहीं करता है।’