क्या गलती से छूटी फ्लाइट ने अक्षय कुमार की किस्मत बदल दी?

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क्या गलती से छूटी फ्लाइट ने अक्षय कुमार की किस्मत बदल दी?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि अक्षय कुमार की किस्मत कैसे बदली? एक छोटी सी गलती ने उन्हें बॉलीवुड का बड़ा सितारा बना दिया। जानिए उनकी संघर्ष और सफलता की कहानी जो आपको प्रेरित करेगी।

Key Takeaways

  • अक्षय कुमार का असली नाम राजीव हरिओम भाटिया है।
  • उन्होंने मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग की।
  • अक्षय की पहली फिल्म 'सौगंध' थी।
  • उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
  • उनकी जीवनशैली अनुशासित है।

मुंबई, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार यानी अक्षय कुमार की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। एक ऐसा लड़का जो अमृतसर की गलियों से निकलकर, दिल्ली के बाद मुंबई आया, और एक ऐसा सुपरस्टार बन गया, जिसकी पहचान केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में हो गई। अक्षय की जिंदगी संघर्ष, मेहनत और संयोग से भरी हुई है।

अक्षय की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने उनकी किस्मत पलट दी, जब एक सुबह उन्होंने फ्लाइट मिस कर दी और उसी दिन उन्हें उनकी पहली बड़ी फिल्म 'दीदार' मिल गई।

अक्षय कुमार का जन्म 9 सितंबर 1967 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनका असली नाम राजीव हरिओम भाटिया है। उनके पिता भारतीय सेना में थे, जिससे अनुशासन की सीख अक्षय को बचपन से मिली। कुछ सालों तक उनका परिवार दिल्ली में रहा और फिर मुंबई आ गया। यहां उन्होंने डॉन बॉस्को स्कूल में पढ़ाई की और खालसा कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन उनका ध्यान पढ़ाई में कम और मार्शल आर्ट्स में ज्यादा था। उन्होंने आठवीं क्लास से ही ताइक्वांडो की ट्रेनिंग शुरू की और बाद में बैंकॉक जाकर मय थाई सीखा। वहीं रहते हुए उन्होंने होटल में शेफ और वेटर की नौकरी भी की।

बैंकॉक से लौटने के बाद अक्षय ने मुंबई में मार्शल आर्ट्स की क्लास लेना शुरू किया। यहीं पर उनके एक छात्र, जो एक फोटोग्राफर भी था, ने उन्हें मॉडलिंग में हाथ आजमाने की सलाह दी। अक्षय को शुरुआत में मॉडलिंग में खास सफलता नहीं मिली। पोर्टफोलियो बनवाने के लिए उन्होंने करीब 15 महीने तक एक फोटोग्राफर के साथ फ्री में काम किया। धीरे-धीरे उन्हें मॉडलिंग के छोटे-मोटे प्रोजेक्ट्स मिलने लगे और अक्षय को लगा कि एक्टिंग में भी हाथ आजमाया जा सकता है।

अक्षय को 1987 में महेश भट्ट की फिल्म 'आज' में एक छोटा सा रोल मिला था, जिसमें वो मार्शल आर्ट्स इंस्ट्रक्टर बने थे। यह रोल महज 17 सेकंड का था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने ऑडिशन देना जारी रखा। 1992 की फिल्म 'जो जीता वही सिकंदर' के लिए भी उन्होंने ऑडिशन दिया था, लेकिन वह रोल उन्हें नहीं मिला। बाद में वही फिल्म आमिर खान ने की और सुपरहिट रही। अक्षय के लिए किस्मत ने कुछ और ही सोचा था।

एक दिन उन्हें बेंगलुरु में एक फैशन शो के लिए बुलाया गया था। अक्षय को लगा फ्लाइट शाम को है, जबकि वह सुबह की थी। नतीजा ये हुआ कि उन्होंने फ्लाइट मिस कर दी और शो से बाहर हो गए। पूरे दिन वह मायूस रहे। जब घर लौटे तो मां ने समझाया कि निराश मत हो, कुछ और अच्छा होगा। उसी दिन अक्षय नटराज स्टूडियो पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात प्रमोद चक्रवर्ती के मेकअप मैन नरेंद्र से हुई। नरेंद्र ने अक्षय से तस्वीर मांगी और प्रमोद चक्रवर्ती को दिखा दी। कुछ देर बाद अक्षय को अंदर बुलाया गया और वहीं उन्हें फिल्म 'दीदार' के लिए लीड रोल ऑफर किया गया। खास बात ये रही कि जब उन्हें चेक सौंपा गया, तब घड़ी में ठीक 6 बजे थे, ठीक उसी वक्त जब सुबह की फ्लाइट थी। इस इत्तेफाक ने अक्षय की जिंदगी की दिशा ही बदल दी।

1991 में अक्षय की पहली फिल्म 'सौगंध' रिलीज हुई, लेकिन असली पहचान 1992 की फिल्म 'खिलाड़ी' से मिली। इसके बाद तो 'खिलाड़ी' उनके नाम का हिस्सा बन गया। 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी', 'सबसे बड़ा खिलाड़ी', 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी', 'इंटरनेशनल खिलाड़ी', 'खिलाड़ी 420' और 'खिलाड़ी 786' जैसी फिल्मों ने अक्षय को 'बॉलीवुड का खिलाड़ी कुमार' बना दिया।

अक्षय ने एक्शन से शुरुआत की, लेकिन फिर उन्होंने कॉमेडी में खुद को साबित किया। 'हेरा फेरी', 'गरम मसाला', 'फिर हेरा फेरी', 'भागमभाग', और 'भूल भुलैया' जैसी फिल्मों ने उनकी इमेज को एक बहुमुखी कलाकार में बदल दिया। 'एयरलिफ्ट', 'रुस्तम', 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा', और 'पैडमैन' जैसी फिल्मों में उन्होंने गंभीर और सामाजिक भूमिकाएं निभाईं, जिससे उनकी पहचान केवल मसाला एक्टर की नहीं, बल्कि समाज से जुड़ी कहानियों को कहने वाले जिम्मेदार कलाकार की भी बन गई।

पुरस्कारों की बात करें तो अक्षय को 2017 में 'रुस्तम' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। 2009 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।

आज अक्षय कुमार भारत के सबसे फिट और प्रोफेशनल अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं। उनकी लाइफस्टाइल बहुत अनुशासित है। वह सुबह जल्दी उठते हैं और शूटिंग टाइम का बेहद सख्ती से पालन करते हैं।

Point of View

अक्षय कुमार की कहानी न केवल संघर्ष की है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं। उनकी मेहनत और अनुशासन ने उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
NationPress
08/09/2025

Frequently Asked Questions

अक्षय कुमार का असली नाम क्या है?
अक्षय कुमार का असली नाम राजीव हरिओम भाटिया है।
अक्षय कुमार ने अपनी पहली फिल्म कब की थी?
अक्षय कुमार की पहली फिल्म 'सौगंध' 1991 में रिलीज हुई थी।
अक्षय कुमार को कौन सा पुरस्कार मिला है?
अक्षय कुमार को 2017 में 'रुस्तम' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
अक्षय कुमार की कौन सी फिल्म एक्शन से कॉमेडी में बदलाव का प्रतीक है?
फिल्म 'हेरा फेरी' ने अक्षय कुमार की इमेज को एक कॉमेडी अभिनेता में बदल दिया।
अक्षय कुमार की जीवनशैली कैसी है?
अक्षय कुमार की जीवनशैली बहुत अनुशासित है।