क्या मॉरीशस के प्रधानमंत्री का वाराणसी दौरा भारत के लिए महत्वपूर्ण है?

सारांश
Key Takeaways
- मॉरीशस के प्रधानमंत्री का वाराणसी दौरा भारत-मॉरीशस संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है।
- दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी।
- वाराणसी की संस्कृति और आतिथ्य का अनुभव मेहमानों को कराया जाएगा।
- सुरक्षा और सुविधा के लिए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं।
- तीन दिनों का दौरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक होगा।
वाराणसी, ८ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के काशी नगरी में मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम १० से १२ सितंबर तक तीन दिवसीय दौरे पर वाराणसी आ रहे हैं। उनके स्वागत के लिए पूरा शहर सजाया जा रहा है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि ११ सितंबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी आएंगे और दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक भी प्रस्तावित है। इस मुलाकात को भारत और मॉरीशस के संबंधों के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है।
वाराणसी प्रशासन और नगर निगम ने शहर की सूरत बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सर्किट हाउस से लेकर ताज होटल तक की सड़कें रंग-बिरंगी झालरों और लाइटों से जगमगा उठी हैं। हर कोना और हर गली में स्वागत की तैयारियां जोरों पर हैं, ताकि मेहमानों को काशी की संस्कृति और आतिथ्य का भव्य अनुभव हो।
अपने दौरे के दौरान मॉरीशस के प्रधानमंत्री बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करेंगे और गंगा नदी में क्रूज यात्रा के माध्यम से विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का नजारा भी करेंगे। माना जा रहा है कि वह बनारस की आध्यात्मिक विरासत और सांस्कृतिक धरोहर से बहुत प्रभावित हैं।
प्रशासन ने उनकी सुरक्षा और सुविधा के लिए कड़े इंतजाम किए हैं। रूट डायवर्जन से लेकर ट्रैफिक व्यवस्था, सुरक्षा चक्र और स्थानीय जनसंपर्क तक सभी विभाग समन्वय से कार्य कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री रामगुलाम के बीच बैठक में भारत-मॉरीशस के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और तकनीकी सहयोग को लेकर बातचीत होगी। दोनों देशों के बीच लंबे समय से मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहे हैं और इस मुलाकात से उसमें और मजबूती आने की उम्मीद है।
वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा खास मायने रखता है, क्योंकि यह उनका संसदीय क्षेत्र है। ऐसे में स्थानीय विकास परियोजनाओं की समीक्षा और जनता से संवाद की भी संभावना जताई जा रही है।
तीन दिनों तक काशी में आध्यात्म, कूटनीति और सांस्कृतिक समरसता का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।